नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को आरोपियों के ख़िलाफ़ सबूत पेश करने के लिए कहा। न्यायालय ने इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य लोगों की याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख तय करते हुए कहा है कि अगर सरकार ने इस मामले में पुख्ता सबूत पेश नहीं किए तो मामला पूरी तरह से रद्द कर दिया जाएगा। इस हिसाब से सभी एक्टिविस्टों को बुधवार तक हाउस अरेस्ट में ही रहना होगा। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके पास इस मामले में पुख्ता सबूत हैं जिनके आधार पर गिरफ्तारी की गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई क लिए 19 तारीख रखी है। कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई में सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 20 मिनट और पीड़ितों को 10 मिनट का वक्त मिलेगा।
बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव में इस साल की शुरुआत में भड़की हिंसा के मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर 5 कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है। कार्यकर्ताओं की तलाश में दिल्ली, फरीदाबाद, गोवा, मुंबई, रांची और हैदराबाद में अलग-अलग जगह छापे मारे गए। गिरफ्तार किए गए लोगों में माओवादी विचारधारा के पी. वरवर राव, सुधा भारद्वाज और कार्यकर्ता अरुण फेरेरा, गौतम नवलखा और वेरनोन गोन्जाल्विस हैं। इन्हें माओवादी से सांठ-गांठ के आरोपों और भीमा कोरेगांव हिंसा को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।