नई दिल्ली: महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने पांचों वामपंथी विचार और मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा की नज़रबंदी अगले चार हफ्ते के लिए बढ़ा दी है। ये सभी पिछले 29 अगस्त से अपने घरों में नज़रबंद हैं। इसके अलावा मामले में इन सभी एक्टिविस्ट को एक और बड़ा झटका लगा है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी के गठन से भी इनकार कर दिया है। कोर्ट ने पुणे पुलिस को इस मामले की जांच करने की अनुमति भी दी है। कोर्ट ने कहा कि ये सभी आरोपी राहत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
इसके पहले अदालत ने आरोपियों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। फिलहाल ये सभी कार्यकर्ता हाउस अरेस्ट में रह रहे हैं। इस साल जनवरी में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने बीते 28 अगस्त को देशभर के कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। वहीं ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से वर्नान गोनसालविस को गिरफ्तार किया गया.इस दौरान उनके घर से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कई कागजात भी जब्त किए गए।