नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव केस में एक नया मोड़ आ गया है। दरअसल मामले को लेकर याचिककर्ताओं ने अब एनआईए से जांच कराने की मांग की है। मामले में याचिका कर्ताओं का कहना है कि पुणे पुलिस मामले को जानबूझकर दूसरी ओर मोड़ना चाहती है। पुलिस की अब तक की कार्रवाई से साफ पता चल रहा है कि पुण पुलिस पहले से ही वाम विचारकों को फंसाने का पूरा प्लान बना चुकी है। उसी के अनुसार पुलिस जांच भी कर रही है। उनका कहना था कि पुलिस ने जिस तरह से मामले को अलग रूप देने का काम किया। उससे पुलिस की कार्रवाई पर शक होता है। इसलिए मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कराई जानी चाहिए। बता दें इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों के ट्रांजिट रिमांड पर रोक लगाई है।
बता दें कि इससे पहले भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में यलगार परिषद की भूमिका की जांच कर रही पुणे पुलिस को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुणे शेसन कोर्ट ने 90 दिन यानी 3 महीने का समय दे दिया है। दरअसल मामले की जांच कर रही पुण पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के पांच आरोपी-रोन विल्सन, सुधीर धावले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय मांगा था, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी है। मामले मे आरोपी शोमा सेन और सुरेंद्र गाडलिंग ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की है जिस पर पुणे कोर्ट 6 सितंबर को सुनवाई करेगी।