देहरादून: उत्तराखंड में आम लोगों के कामों में भले ही साल लग रहे हों, लेकिन बाहरी लोगों के काम काफी तेजी से हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग का सामने आया है। दरभंगा से दो माह पहले देहरादून में भीख मांगने आए भिखारी का मेडीकल प्रमाण पत्र भी बन गया और उसे समाज कल्याण विभाग से कार्ड भी जारी हो गया।
यह कोई आम बात नहीं है। महज दो माह में बिहार के दरभंगा से भीख मांगने के लिए लाए गए लोगों का विकलांग कार्ड बन गया। बिना किसी जांच-पड़ताल के। आम बात इसलिए नहीं है कि यह भिखारी सिंडीकेट की ओर इशारा करता है। इन दिनों ये गैंग देहरादून के व्यस्तम चैराहों पर नजर आ रहा है। राजपुर रोड स्थित ओरिएंट चैराहे पर इन भिखारियों के कारण जाम की स्थिति बन रही है। इनके साथ बच्चे भी हैं। गाड़ी रुकते ही सारे एक साथ गाड़ी के शीशे बजाने लगते हैं। देहरादून निवासी अमित तोमर की गाडी राजपुर रोड़ के ओरिएंट चौक पर लाल बत्ती पर खड़ी थी। उन्होंने बताया कि, चार-पांच भिखारियों ने गाड़ी खटखटाई। सभी हष्ट-पुष्ट थे। उनका कहना है इस गिरोह को पहले कभी नही देखा था। गाड़ी पार्किंग में लगा कर पुलिस केबिन में पहुंचा और विरोध दर्ज करवाया, तब भी पुलिस की नींद नही खुली। जब इनके पहचान पत्र जांचे तो पता चला कि इनमें से एक दरभंगा जिला बिहार से है, जो मात्र 2 महीने पहले ही देहरादून लाया गया। इसी भिखारी के पास से उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग का पहचान पत्र भी मिला, जो अचंभित करता है कि, किस प्रकार शासन-प्रशासन में भिखारी सिंडिकेट की पैठ है। यह साबित करता है।
देहरादून में इस तरह के भिखारियों के गैंग काफी समय से सक्रिय हैं, लेकिन इनकी ना तो जांच की जाती है और न शिकायत मिलने के बाद कोई कार्रवाई होती है। कुछ समय बाद भिखारी बदल दिए जाते हैं। आइएसबीटी रोड पर गिरोह ने कच्ची झोपड़ियां भी डाली हुई हैं। आइएसबीटी पुलिस चौकी से दो मीटर की दूरी पर इतनी संख्या में बाहरी भिखारी रह रहे हैं। बावजूद इसके उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
वहीं हैलो उत्तराखंड न्यूज से जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर ने बातचीत में बताया, कि कार्ड मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर बनता है। उनका कहना है कि अगर ऐसा है, तो जांच कराई जाएगी।