नई दिल्ली: साहित्य का नोबल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक वीएस नायपॉल का रविवार तड़के निधन हो गया है। उन्होंने 85 साल की उम्र में लंदन स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। बता दें नायपॉल का जन्म 17 अगस्त 1932 में त्रिनिडाड में हुआ था। जिसके बाद वह इंग्लैंड जा कर रहने लगे। नायपॉल का पहला उपन्यास 1951 में प्रकाशित हुआ था जिसका नाम ‘द मिस्टिक मैसर’ था। इस किताब को पाठकों से भरपूर प्यार मिला था। 1990 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नाइट की उपाधि से नवाजा था। नायपॉल को 1971 में बुकर और साल 2001 में साहित्य के लिये नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वहीं 2008 में ‘द टाइम्स’ ने सर वीएस नायपॉल को दुनिया के 50 सबसे महान लेखको में शामिल किया गया था। वीएस नायपॉल ने एक ऐसा जीवन जिया जो रचनात्मक और प्रयासों से भरा हुआ था। नायपॉल बंधुआ मजदूरों की तरह वेस्टइंडीज लाए गए भारतीयों के वंशज थे। उनके पिता भी एक उपन्यासकार थे।
बता दें कि ब्रिटिश लेखक पैट्रिक फ्रेंच, नायपॉल की बायोग्राफी ‘द वर्ल्ड इज वॉट इट इज’ द ऑथोराइज्ड बायोग्राफी ऑफ सर वीएस पॉल भी लिख चुके हैं. इसके लिए नायपॉल ने भी पैट्रिक को अपनी जीवन की हर वो बात बताई जो कि उनसे पूछा गया। बायोग्राफी लिखने के लिए नायपॉल ने पैट्रिक को अपने जीवन की सारी बातें बड़ी ही बेबाकी से बताईं। नायपॉल को उनकी सबसे लोकप्रिय उपन्यास ‘ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ लिखने में तीन साल से भी ज्यादा का समय लग गया था।