रुद्रप्रयाग: तृतीय केदार के रुप में पूजित भगवान तुंगनाथ के कपाट बुधवार को पूरे विधि-विधान के साथ खोल दिये गये हैं। सबसे अधिक उंचाई पर स्थित इस शिवधाम में भगवान शिव के बाहु भाग की पूजा होती है। मंगलवार को बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता पहुंची। जहां से बुधवार को डोली तुंगनाथ धाम पहुंची। बता दें कि यहां पर भगवान के पहुंचने से पहले ही कपाट खोल दिये जाते हैं और भगवान के भण्डारी गुप्त भण्डारगृह से बाबा के ताम्र बर्तनों को निकालते हैं। डोली पहले तो अपने भण्डार का निरीक्षण करती है और फिर गर्भग्रह में विराजमान होती है।
करीब साढ़े 13 हजार फीट की उंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान का सबसे बडा तीर्थ है। मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के पांच रुपों में पंच केदारों में पूजा होती है और तुंगनाथ को तृतीय केदार के रुप में पूजा जाता है। मान्यता के अनुसार यहां स्थित चन्द्र शिला में चन्द्रमां को कुष्ट रोग से मुक्ति मिली थी, तो असुर सम्राट रावण ने यहां घोर तपस्या कर भगवान को प्रसन्न किया था। रावण शिला पर अशुर सम्राट को अमरत्व का वरदान मिला था। माना जाता है यहीं पर भगवान ने रावण को महामृन्जय मंत्र दिया था। सैकडों श्रद्वालुओं के जयकारों के बाद भगवान को पहले तो समाधि रुप से निर्वाण रुप में लाया गया और फिर पुजारियों द्वारा विधिवत पूजा हवन के बाद मंदिर को आम श्रद्वालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। अब ग्रीष्मकाल में अगले 6 माह तक भगवान की सभी पूजायें तुंगनाथ में ही सम्पन्न होंगी।