नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने असैन्य कार्रवाई करते हुए मंगलवार तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप में एयर स्ट्राइक की थी। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के मदरसे तालीम-उल-कुरान की चार इमारतों को नुकसान पहुंचा। हालांकि इस हमले में मारे गए आतंकियों की जानकरी पर इन उच्च आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इसका आकलन करना काल्पनिक होगा। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकार के उच्च सूत्रों ने मसूद अजहर के आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर हमले में हुए नुकसान की पुष्टि की है। oneindia की खबर के अनुसार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकारी सूत्रों का कहना है खूफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार की तस्वीरें सबूत के तौर पर जो हमले की पुष्टि करती हैं। इन तस्वीरों में दिख रहा है कि टार्गेट की गई चार इमारतों को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 फाइट जेट्स ने 5 S-2000 प्रिसिजन गांइडेंस के जरिए नष्ट किया गया। ये इमारतें आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा चलाए जा रहे मदरसे के परिसर में थी। हालांकि मरने वालों की संख्या पर उनका कहना है कि तकनीकी इंटेलिजेंस की सीमाओं और ग्राउंड इंटेजिलेंस की कमी के चलते इसका आकलन करना पूरी तरह से काल्पनिक होगा।
पाकिस्तान ने हालांकि इस क्षेत्र में भारत के हमले की पुष्टि की है। लेकिन उसने यहां किसी आतंकी ट्रेनिंग कैंपस और किसी नुकसान से इनकार किया है। मगर इससे इनकार किया है कि वहां कोई आतंकी कैंप थे या किसी तरह का नुकसान हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने मदरसे को सील क्यों कर दिया? मदरसे में पत्रकारों को जाने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है? हमारे पास एसएआर इमेजरी के रूप में सबूत हैं कि इमारत का इस्तेमाल गेस्ट हाउस की तरह हो रहा था, जहां मौलाना मसूद अजहर का भाई रहता था। एक एल आकार की इमारत मदरसे के परिसर में है जहां ट्रेनिंग लेने वाले आतंकी रहा करते थे। एक दो-मंजिला इमारत में वो लोग होते है जो भर्ती होने के लिए आते थे। इसके अलावा और एक अन्य इमारत था, जहां वो आंतकी रहते थे जिनकी ट्रेनिंग आखिरी दौर में होती थी। इन सभी को मिराज ने बमों से निशाना बनाया। सूत्रों ने इस बात से भी इनकार किया है भारतीय वायुसेना के बम जाबा गांव की उस पहाड़ी पर जाकर लगे जहां पाकिस्तान की सेना कुछ पत्रकारों को गड्ढे, गिरे हुए पेड़ दिखाने ले गई थी। सैन्य अधिकारी ने कहा कि अगर केवल S-2000 PGM फायर किए गए तो गड्ढों या टूटे पेड़ों की कोई संभावना नहीं है। ये बम धरती के भीतर जाकर फटता है, जिससे एक टीला जरूर बन जाएगा।
भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक की तस्वीरें सार्वजनिक करने पर अधिकारी ने कहा कि यह राजनेतिक नेतृत्व को तय करना है कि तस्वीरें रिलीज करनी है या नहीं या सार्वजनिक करनी हैं या नहीं। एसएआर की तस्वीरें सैटेलाइट की तस्वीरों जितनी साफ नहीं हैं और हम मंगलवार को अच्छी सैटेलाइट तस्वीरें इसलिए नहीं ले सके क्योंकि घने बादल थे। अगर वो होतीं तो उनसे विवाद ही खत्म हो जाता। जैश के मदरसे को हमले के लिए बेहद सावधानी से चुना गया था क्योंकि ये विरान जगह पर था और यहां किसी आम नागरिक के मारे जाने की संभावना न के बराबर थी। वायुसेना को मिली सटीक और सही वक्त पर सूचनाएं मिलीं। उन्होंने बताया कि वायुसेना ने इमारतों को इजरायली S-2000PGM बमों के जरिए टार्गेट बनाया। ये बम इमारत को नष्ट नहीं करते हैं बल्कि इमारत में घुसने के बाद भी नुकसान करते हैं।एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि S-2000 बेहद सटीक, जैमर-प्रूफ बम है जो घने बादलों में भी काम करता है। यह पहले छत के जरिए भीतर घुसता है, फिर कुछ देर के बाद विस्फोट होता है। यह बम कमांड और कंट्रोल सेंटर उड़ाने के लिए यूज होता है और इमारत को नुकसान नहीं पहुंचाता। सॉफ्टवेयर में छत किस प्रकार की है- उसकी मोटाई, मैटीरियल क्या है, यह फीड करना पड़ता है। इसी के हिसाब से PGM कितनी देर बाद फटेगा, यह तय किया जाता है।