देहरादून: मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने बताया कि, प्रदेश में भारी बारिश को देखते हुए शासन प्रशासन अलर्ट है। हालांकि वर्तमान में स्थिति सामान्य है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव सहित विभिन्न स्तरों पर लगातार समीक्षाएं करते हुए सभी आवश्यक तैयारियां की गई हैं। प्रदेश में विभिन्न मार्गों पर भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए आवश्यक संख्या में जेसीबी, पाॅकलैंड मशीनें मेनपावर सहित तैनात की गई हैं। ताकि कहीं भी मार्ग बाधित होने पर तुरंत खोला जा सके। जेई, एई व इन जेसीबी मशीनों के ड्राईवरों के मोबाईल नम्बर जिला आपदा प्रबंधन केंद्रों व संबंधित तहसीलों में उपलब्ध करवाए गए हैं।
बारिश को देखते हुए फील्ड कर्मचारियों की 15 सितम्बर तक छुट्टियों पर रोक है। आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है। सेना, आईटीबीपी, बीआरओ व अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनाया गया है। राजमार्गों पर जहां क्रानिक लैंडस्लाईड जोन चिन्हित किए गए हैं, वहां वैकल्पिक ट्रेक रूट भी बनाए गए हैं। दोनों तरफ वाहनों की व्यवस्था करते हुए ट्रांसशिपमेंट की भी तैयारी है। चार धाम यात्रा मार्ग पर शेल्टर पाॅइन्ट चिन्हित हैं जहां आवश्यक होने पर यात्रियों को सुरक्षित रोका जा सके। तहसील स्तर तक आपदा राहत हेतु आवश्यक उपकरण आवश्यक संख्या में उपलब्ध हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा में जाने वाले सभी यात्री पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हमारी कोशिश है कि किसी भी परिस्थिति में सूचना व संचार तंत्र बरकरार रहे। उत्तराखण्ड उन राज्यों में है, जहां आपदा प्रबंधन के लिए सर्वाधिक संख्या में सैटेलाईट फोन उपयोग किए जा रहे हैं। हमारे पास इस समय 74 सैटेलाईट फोन है, जो कि जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराए गए हैं। दो हेलीकाप्टर की व्यवस्था की जा रही है। इनमें से एक हेलीकाप्टर गढ़वाल के लिए व 1 हेलीकाप्टर कुमायूं के लिए होगा। सभी दूरस्थ क्षेत्रों में तीन माह के लिए आवश्यक राशन व अन्य सामग्री का प्र्याप्त स्टाॅक मौजूद है। राज्य में 31 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। दूरस्थ चैकियों में तैनात लगभग 7500 पुलिसकर्मियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वालन्टियर्स को भी सक्रिय किया जा चुका है।