-कृष्णपाल सिंह रावत
थत्यूड़ में कफूल्टा नाले से ढ़ाणा बस्ती में खतरा
जौनपुर विकासखण्ड थत्यूड़ में कफूल्टा खाले से ढ़ाणा बस्ती को खतरा पैदा हो गया है, जिसमें ढाणा से बहने वाला कफुलटा नाला कभी भी ढाणा बस्ती को खतरा पैदा कर सकता है। उक्त बस्ती दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। जिसमें जौनपुर ब्लाक के मुख्यालय होने तथा राजकीय इंटर कॉलेज, श्री गुरू राम राय स्कूल, राजकीय चिकित्सालय नजदीक होने तथा पर्याप्त स्थान होने के साथ ही सुविधायुक्त स्थल बन चुका है जिसमें अनेकों ग्रामों से लोग यहां बच्चों को पढाने हेतु किराये पर मकान ले कर रहते है। कभी सुरक्षित माने जाने वाले यह बस्ती आज प्राकृतिक आपदा से उतना खतरा नहीं है जितना मानव द्वारा बनी आपदा से खतरा बना है। बात की जा रही है कि उक्त तोक के उपरी भाग से लगभग दो वर्ष पूर्व थत्यूड़-अग्यारना मोटर मार्ग का निर्माण किया गया था जिसमें निर्माण कार्यदायी संस्था तथा ठेकेदार के द्वारा उक्त मोटर मार्ग पर स्थित नाले गदेरों में मिटटी,मलवे को डाला गया था, जिसमें एक कफुलटा नाला भी है, जिसमें ठेकेदार द्वारा मोटर मार्ग के कटिंग से निकला मलवा नाले में डाला गया था, जो आज कहर बरपाने को तैयार है। ग्रामीणों द्वारा तब भी उक्त ठेकेदार को मलवा डालने के लिये मना किया गया था परन्तु उसने मना करने के बाद भी मलवा नाले में ही डाला गया।
मोटर मार्ग के निर्माण हेतु सरकारी नियमावली यह कहती है कि मोटर मार्ग से निकलने वाले मलवे के निस्तारण हेतु मोटर मार्ग के निकटवर्ती भागों में सुरक्षित स्थान को प्रोजेक्ट के अन्तर्गत ही डम्पिंग जोन चिन्हिकरण का प्राविधान है। परन्तु उक्त मोटर मार्ग में उक्त मानकों को अनदेखा कर नाले में मलवा डाला गया हैं, यदि उक्त मलवा नाले में रूक कर झील का निर्माण करता है तो निचले भागों में बसी बस्ती सहित सरकारी विद्यालय को भी खतरा पैदा कर सकता है।
सरकार को ज्यादा इन्तजार न करके इस बस्ती की सुरक्षा हेतु नाले के दोनों किनारे को सुरक्षित किये जाने हेतु सुरक्षात्मक कार्य किये जाने होगे क्योकि यदि अभी सुरक्षात्मक कार्य किये जायेगे तो भविष्य में बस्ती को विस्थापन से बचाया जा सकता है तथा बस्ती में जान-माल की भी सुरक्षा की जा सकती है।
भूवैज्ञानिक, प्रदीप कुमार का कहना है कि, उक्त नाले के किनारे वाले भागों में जहां कठोर चटटानों का पूर्णतः अभाव है। वहीं उक्त नाले के बहाव की प्रवणता बहुत अधिक है जिसमें नाले का पानी अधिक तीव्रता से बहने के कारण तेजी से कटाव करता है। यदि नाले में बडे बोल्डरों के रूकने तथा पहाड टुटने से तथा मलवे के भरान से बस्ती के उपरी भागों में झील बनती है तो ढाणा बस्ती को नुकसान होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है उक्त प्रकार की घटना वर्ष 1998 में देख चुके है। जब नाले का पानी भदराज देवता मंदिर के निचले भाग से ढाणा बस्ती की ओर घुसा था, जिसमें उस समय एक नहर मुख्य कारण बनी थी, जिसमें तब बस्ती में भारी तबाही हुयी थी, रात्रि तीन बजे जब ग्रामीणों द्वारा नहर को वस्त किया गया तब जाकर नाले का पानी अपने स्थान की डाला गया था, वह दिन फिर न देखना पडें जिस हेतु सरकार को समय उक्त बस्ती की सुरक्षा हेतु उचित सुरक्षात्मक कार्य किये जाने होगे।
ढाणा बस्ती के निचले भाग पर स्थित रा0ई0कालेज ढाणा भी कफुलटा नाले के बायं किनारे पर स्थित है। जो नाले के बहाव के नीचले भाग पर स्थित है जिसमें रास्ते के साथ-साथ नाली तथा मलवा सीधे स्कूल प्रांगण तथा भवन की ओर बढता है जिसमें वर्ष 2013 में विद्यालय के 03 कमरे बह चुके है। तो वहीं इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक एस०के० सहगल का कहना है कि विभाग को भी कई बार लेटर भेजा गया है। लेकिन विभाग भी इस ओर कोई सुध नहीं ले रहा है और दिन प्रतिदिन खतरा बढ़ता जा रहा है। बस्ती की सुरक्षा हेतु नाले में मजबूर सुरक्षा कार्यो से ही बस्ती को बचाया जा सकता है, जिसके लिये आपदा मद तथा जलागम परियोजना तथा अन्य निधियों से बस्ती की सुरक्षा की जानी होगी।
वहीँ धनोल्टी जौनपुर उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते जहां एक तरफ बारिश अपना कहर बरपा रही है। वहीं दूसरी तरफ विकासखंड जौनपुर थतयुड मैं बारिश आफत बनकर लोगों को डरा रही है, जिसके चलते जौनपुर विकासखंड के कई मार्ग अवरुद्ध हो गए लोगों की आवाजाही बंद हो गई छात्र छात्राओं को स्कूल तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें भारी बारिश के चलते नदी नाले उफान पर है। वही लोगों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है। वही ग्राम पंचायत छंनाण गांव के भूमिया बस्ती व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को संगलयाटा नाले से लगातार खतरा बना हुआ है। जो कि कभी भी इस नाले की चपेट में आ सकते हैं बता दें कि 2013 मैं आई भयंकर आपदा के दौरान यहां पर लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। लेकिन तब से लेकर आज तक शासन प्रशासन के द्वारा यहां पर कोई भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम आप तक नहीं आप तक नहीं किए गए। जिसके चलते लोग आज भी भय के साथ जी रहे हैं। बरसात के समय में अधिक वर्षा होने पर लोगों को दूसरे के घरों में आसरा लेना पड़ता है। जिसमें ग्रामीणों का कहना है कि हमारे द्वारा शासन प्रशासन को भूमिया बस्ती व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थत्यूड़ के सुरक्षा के लिए कई बार शासन प्रशासन को अवगत कराया गया है। लेकिन अभी तक शासन प्रशासन के द्वारा कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गई है। साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते यहां पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए तो आने वाले समय में कभी भी दोनों स्थान नाले की चपेट में आ सकते हैं, जो कि नाले के समीप होने से लगातार खतरा बना हुआ है।