जम्मू कश्मीर: कश्मीरी पंडितों के लिए डाॅ. मनमोहन सिंह सरकार में जम्मू से करीब 15 किलोमीटर आगे जगती में आवास बनाए गए थे। तब आवास नजर आने वाले कमरे अब उजाड़ और बर्बाद नजर आ रहे हैं। निर्वासित कश्मीर पंडित उन आवासों में जानवरों जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि आवास की छत कब गिर कर मौत में तब्दील हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। लोग हर पल मौत के साये में जीने को मजबूर हैं। कश्मीरी पंडितों की वापसी के दावे करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार ने आज तक एक बार भी सत्ता में आने के बाद कश्मीरी पंडितों की सुध नहीं ली। बदहाल हो चुके आवासों में रह रहे लोग इंतजार कर रहे हैं कि कब कोई आए और उनकी सुध ले। उन्हें कालकोठरी जैसे लगने वाले कमरों से बाहर निकाले।
कश्मीरी पंडितों की हालत बेहद खराब है। उनके लिए जो आवास बनाए गए थे, उनकी हालत अब ऐसी हो चुकी है कि वह रहने लायक भी नहीं रहे। छतों से बरसात में पानी टपकता है। दीवारों पर दरारें पड़ी हैं, जिनसे मौत भीतर झांकती हुई नजर आ रही है। जिन फ्लैटों में कश्मीरी पंडित रह रहे हैं, उनकी बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां भीतर पानी टपक रहा है।
वहीं, बाहर दीवारों पर घास उग आई है। बाहर से देखने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह भवन अब गिरासू हो चला है।
मजबूर कश्मीरी पंडित यह जानते हुए भी कि ये भवन उनकी कब्र भी साबित हो सकता है, फिर भी वहां रह रहे हैं। उसका सीधा और साफ एक ही कारण है कि उनके पास दूसरा ना तो कोई जरिया है और ना उनके पास कोई विकल्प है। लोगों को जो फ्लैट आवंटित हुए हैं, उनकी हालत बेहद खराब है। कई मर्तबा गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उनके पास इंतजार के अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं है। जम्मू-कश्मीर सरकार में रहते हुए भी भाजपा ने उनके लिए कुछ नहीं किया। स्थानीय प्रशासन भी उनकी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है। कश्मीरी पंडित केवल राजनीति का एक मुद्दा बन कर रह गए हैं। उन पर केवल राजनीति होती है।