नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है। कांग्रेस ने कहा कि उसने अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टेलीविजन चैनलों पर नहीं भेजने का फैसला किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर जानकारी दी कि कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टीवी चैनलों के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए नहीं भेजेगी। उन्होंने कहा सभी मीडिया चैनलों से आग्रह किया जाता है कि वे अपने डिबेट में कांग्रेस प्रतिनिधियों को शामिल ना करें।
जानकारी के मुताबिक पार्टी मोदी सरकार पर शुरुआती एक महीने तक किसी भी टीका-टिप्पणी और आलोचना से बचना चाहती है। इसलिए यह फैसला किया गया है। कांग्रेस के इस निर्णय में एक वाजिब कारण यह भी माना जा सकता कि राहुल गांधी ने जिस तरह हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की और उन्हें अभी भी मनाने की कोशिश की जा रही है। उसे देखते हुए भी प्रवक्ताओं के लिए इससे जुड़े सवालों का जवाब देना काफी मुश्किल हो रहा था।
कांग्रेस पार्टी ने सपा की तर्ज पर जो करने का निर्णय लिया है उससे जाहिर हो जाता है कि पार्टी अब भी हार से अपने आप को उबार नहीं सकी है। वैसे सियासी गलियारों में इन दिनों कांग्रेस नेताओं को बड़बोलेपन के चर्चे आम हैं। अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत’ का तीर उनकी कांग्रेस पर खीझ को दर्शाता है। वैसे जानकार ऐसी तमाम वजहें गिनाते हैं जिनसे पार्टी की दुर्गति हुई। उनका मानना है कि आज प्रवक्ताओं के पास कुछ बोलने को नहीं रहा लिहाजा उन्हें महीने भर की मौन साधना को मजबूर कर दिया गया। वे नसीहत देते हैं कि अगर इस मौन साधना का चुनाव के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं और प्रवक्ताओं ने तनिक भी पालन कर लिया होता तो आज ये दिन न देखना पड़ता। खैर, जो हुआ सा हुआ। अगर ये कहें कि चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं ने मनमानी न की होती, हर बात कहने के पूर्व आत्ममंथन किया होता तो आज पार्टी प्रवक्ताओं को मौन धारण करने की यूं कथित सजा देने को मजबूर न होना पड़ता।