देहरादून: हिंदू गुरुओं को ‘वाई’ श्रेणी और ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा देने के मामले पर कांग्रेस प्रदेश सचिव आजाद अली ने कई सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार पर निशाने साधते हुए कहा कि, एक ही धर्म के गुरुओं को सुरक्षा देकर त्रिवेंद्र सरकार धर्म के नाम की राजनीति कर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि, भाजपा का नारा “सबका साथ -सबका विकास” है तो, केवल हिन्दु समाज के गुरुओं को ही क्यों ‘वाई’ और ‘जेड’ सुरक्षा दी जा रही है, मुफ़्ती, मौलाना, को भी क्यों सुरक्षा नहीं दी जा रही है। जबकि, इनके समतुल्य देहरादून काजी मौ. अहमद काशमी, मुक्ति शलीम व अन्य जिलों के काजी समेत कई नाम हैं। लेकिन, भाजपा सत्ता मे आते ही यह क्यों भूल जाती है कि, देश की आज़ादी से लेकर देश को सींचने तक में हर धर्म का योगदान रहा है।
गौरतलब है कि, 5 अप्रैल को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया। जिसके तहत राज्य में वीआईपी लोगों की सुरक्षा की समीक्षा की गई और इसके अंतर्गत 16 लोगों का चयन ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा के लिए तय किया गया। इन वीआईपी लोगों में धर्मगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद व बाबा रामदेव को जेड सुरक्षा तो वहीँ रामानंद हंस देवाचार्य, शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम, समेत कई हिंदू धर्म गुरुओं को वाई सुरक्षा प्रदान की गई है। सांसारिक सुखों के त्याग का पर्याय माने जाने वाले बाबाओं और संन्यासियों की इस तरह की शान के लिए लगातार संख्या बढ़ती ही जा रही है।
प्रदेश की भाजपा सरकार पर बरसते हुए आजाद अली ने कहा कि, एक साल त्रिवेन्द्र सरकार के पूरे होने के उपरांत सूबे की जनता जब भाजपा सरकार को सिरे से नाकार रही है, तो वहीँ त्रिवेंद्र सरकार हार के डर से आगामी निकाय चुनाव को आगे खिसका रही है। ऐसे में उनके सब रास्ते बंद हो गए है तो, मुख्यमंत्री धर्म की नाम की राजनीति करके सूबे की जनता को गुमराह करके आगामी निकाय चुनाव मे वोट पाना चाहते हैं। लेकिन, भाजपा अब कितने भी लुभावने हथकंडे अपना लें, आगामी चुनावों में प्रदेश की जनता भाजपा सरकार से अपनी जान छुड़ाने का मन बना चुकी है।