देहरादून: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में गलत तरीकों से मरीजों को रेफर करने और इलाज दर्शाकर लाखों रुपये हड़पने के आरोप में प्रदेश के दो और अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है। इनमें एक निजी अस्पताल हरिद्वार के सुल्तानपुर का और एक ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर का है। यह गड़बड़ी रेगुलर ऑडिट में पकड़ी गई। योजना के सीईओ के आदेश पर इन अस्पतालों को सूची से निलंबित करते हुए जांच बैठा दी गई है। जांच रिपोर्ट 15 दिन में मांगी गई है। अब तक कुल पांच अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, जिसमें तीन काशीपुर और दो हरिद्वार के अस्पताल हैं।
पहला नाम सहोता मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, न्यूरोट्रामा सेंटर काशीपुर का है। जहाँ महिला चिकित्सक ने पति के अस्पताल में मरीजों को रेफर किया। काशीपुर का यह अस्पताल पिछले साल दिसंबर में सूचीबद्ध हुआ था। इस अस्पताल में कुल नौ चिकित्सक हैं, जिनमें डॉ. नवप्रीत कौर (स्त्री रोग विशेषज्ञ) भी शामिल हैं। जबकि, डॉ. कौर एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय काशीपुर में संविदा पर भी काम करती हैं। सहोता हॉस्पिटल ने गत 17 अप्रैल तक कुल 93 मामलों का क्लेम प्रस्तुत किया था। इनमें से नौ मामले सिजेरियन प्रसव, 21 नवजात शिशुओं से संबंधित, 35 डायलिएसिस और सात मामले मोतियाबिंद के थे। सिजेरियन प्रसव के नौ मामले एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय से सहोता अस्पताल रेफर किए गए। इन सभी मरीजों को डॉ. कौर ने ही रेफर किया। जांच में पता चला कि यह अस्पताल डॉ. कौर के पति डॉ. रवि सहोता का है। पता चला कि इन्हें जानबूझकर कोई न कोई बहाना बनाकर इस अस्पताल में रेफर किया गया। इनमें से छह नवजात बच्चों को इसी अस्पताल में निकू वार्ड में रखा गया और योजना के अंतर्गत इनका क्लेम लिया गया। जांच में एक और गड़बड़ी पाई गई। इस अस्पताल में छह मामलों में मेडिकल मैनेजमेंट का पैकेज भी प्रति मरीज नौ से 10 हजार रुपये लिया गया। जो नियम विरुद्ध है।
वहीँ दूसरा नाम जीवन ज्योति हॉस्पिटल टिक्कमपुर सुल्तानपुर, हरिद्वार का शामिल है। जहाँ रेफर पर्ची पर हायर सेंटर लिखा, मौखिक रूप से जीवन ज्योति कहते रहे। सुल्तानपुर हरिद्वार के इस अस्पताल ने कुल 94 क्लेम प्रस्तुत किए गए। इस अस्पताल ने अपने यहां कार्यरत डॉ. जार्ज सैमुअल का नाम नहीं बताया था। जबकि, ज्यादातर मामलों में डिस्चार्ज समरी और क्लीनिकल नोट्स में उन्हीं का नाम लिखा है। लिहाजा इलाज ऐसे चिकित्सक से कराना दर्शाया गया जो इनके यहां है ही नहीं। पता चला कि है कि डॉ. सैमुअल 2015 से हरिद्वार के कई राजकीय चिकित्सालयों में संविदा पर तैनात हैं। वर्तमान में पीएचसी रायसी में सेवाएं दे रहे हैं। जीवन ज्योति अस्पताल में आए ज्यादातर मरीजों की रेफर पर्ची पर डॉ. सैमुअल के ही हस्ताक्षर हैं। डॉ. सैमुअल ने भी खूब धोखाधड़ी की और किसी मरीज को लंढोरा तो किसी को लक्सर से रेफर करना दर्शाया। जबकि, इन अस्पतालों वह पहले काम कर रहे थे। डॉ. सैमुअल ने रायसी (वर्तमान तैनाती) से भी कई मरीजों को रेफर किया। पर्ची पर लिखा था हायर सेंटर, लेकिन मौखिक रूप से कहा गया कि जीवन ज्योति अस्पताल में ही इलाज कराना है।