देहरादून: 17 वर्षों के संघर्षों एवं इंतजार के बाद जब उत्तराखंड को क्रिकेट खेलने की अनुमति मिली ,तो उत्तराखंड के हर खिलाड़ी के चेहरे पर खुशी की लहार दौड़ गई। इसे प्रदेश का दुर्भग्य कहें या दलालों का क्रिकेट में बढ़ता हस्तक्षेप कि प्रदेश की क्रिकेट व्यस्थाएं भी भ्रष्टाचार और अव्यस्थाओं से अछूती नहीं रहीं। यूकेडी ने इस पर सवाल खड़े करते हुए जांच की मांगी है। यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री सुशील कुमार ने कहा पहले दिन से लेकर अब तक के घटना क्रम में अव्यस्थाएं और भ्रष्टाचार का खेल चरम पर है। सरकार, खेल अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं।
हाल में अंडर 16 के लिए चयनित 30 खिलाड़िओं में से फर्जीवाड़े के चलते 18 खिलाड़िओं को बहार कर दिया गया ध् अंडर 19 में भी 3 खिलाड़िओं को फर्जी सूचना प्रदान करने के चलते 2 साल के लिए प्रतिबधित कर दिया गया ध् बड़ा प्रश्न ये है की प्रदेश में क्रिकेट का संचालन का दाइत्व उठाने वाली 4 असोसिएशन के ज्यातर खिलाडी ही टीमों में चयनित होकर आएं हैं। ऐसा कैसे संभव है की इनके फर्जीवाड़े की सूचना एसोसिएशन से जुड़े अधिकारिओं को ना हो। ये जांच का विषय है।
इससे पूर्व भी चयन प्रक्रिया विवादों में रही है। चाहे वो यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन के संजय गुसाईं के पुत्र तनुष गुसांई, चंद्र कांत आर्य के पुत्र रोहन आर्य या फिर पंकज सहगल के पुत्र रोहन सहगल के चयन हो या फिर उत्तरांचल क्रिकेट असोसिएशन के सदस्य ईश्वरन अभिमन्यु की अभिमन्युु क्रिकेट अकेडमी के ज्यातर खिलाड़िओं पर चयनकर्ताओं की मेहरबानी हो। प्रदेश के युवाओं को धोखा दे कर चयन में बन्दर बांट का खेल चालू है।
केंद्रीय महामंत्री सौरब आहूजा ने कहा की जब 4 एसोसिएशन में से एक और यूसीसीसी के सदस्य दिव्या नौटियाल पर मैच फिक्सिंग औरं चिट-फंड कंपनियों में फर्जीवाड़े जैसे संगीन आरोप हैं, तो किस आधार पर बीसीसीआई ने इनको यूसीसीसी की सदस्यता देकर प्रदेश में क्रिकेट संचालन के अधिकार दिए। सलेक्शन की जिम्मेदार संभाल रहे अधिकारियों के रहते हुए उनके चहेतों को चुना जा रहा है। इससे क्या उम्मीद की जा सकती है कि वहां सारा काम पारदर्शिता से हो रहा है।
उक्रांद बीसीसीआई का आभार व्यक्त करता है की प्रदेश में क्रिकेट को प्रारमभ कर युवाओं को खेल में आगे बढ़ने का मौका दिया ध् लेकिन जिस तरह से व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण कह्यां हो या अन्य व्यस्थाएं हर जगह अनिमितताएं सभी के समक्ष हैं। उक्रांद उम्मीद करता है की भविष्य में इस तरह की व्यस्था पर रोक लगाकर बीसीसीआई के संविधान के अनुरूप क्रिकेट को प्रदेश में संचालित किया जाये। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो, इसका पुरजोर विरोध करेगा.