देहरादून: प्रदेश में इन दिनों केदारघाटी में हेली सेवा के टेंडर को लेकर चर्चाओं में चल रहे नागरिक उड्डयन विभाग और नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण प्रदेश में हवाई सेवाओं की सुरक्षा को लेकर कितना लापरवाह है। इसका एक ताजा मामला सामने आया है। 2016 के बाद केदारघाटी में नया हेलीपैड बनाने पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन 2017 के अप्रैल माह में केदारघाटी के बड़ासू में एक और हेलीपैड बन गया, लेकिन इसकी न तो रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को कोई जानकारी है और न ही नागरिक उड्डयन विभाग को इसके बारे में कुछ पता है। जबकि नागरिक उड्डयन विभाग और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने ही मई 2017 में इस हेलिपैड पर कमर्शियल फ्लाइंग कराई।
गौरतलब है कि, शासन ने 9 जून 2016 को शासनादेश जारी किया था, जिसके अनुसार, केदारघाटी में 14 ही हेलीपैड थे। साथ ही शासनादेश के अनुसार भविष्य में केदारघाटी में नए हेलीपैड बनाने पर पाबंदी लगा दी गई। जबकि, अप्रैल 2017 में एक और हेलीपैड यहाँ बन गया। वहीँ इस मामले की जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट ने नागरिक उड्डयन विभाग से मांगी, लेकिन विभाग की ओर से कोई जानकारी ही नहीं दी गयी। इतना ही नहीं विभाग ने मामले को रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय का बताते हुए सूचना जिलाधिकारी कार्यालय से लेने के लिए कह दिया। लेकिन रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी प्रशासन ने दस्तावेज नहीं होने की बात कर आवेदन को वापस कर दिया।
ऐसे में असल सवाल यह उठता है कि, यदि किसी ने अनुमति नहीं दी, तो बड़ासू में हेलीपैड कैसे बन गया। सुरक्षा की लिहाज से भी यह गंभीर मामला है। केदारनाथ दर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता और वीवीआईपी आते रहते हैं। ऐसे में बिना सरकार की अनुमति के बड़ासू में हेलीपैड कैसे बनाया गया। साथ ही यह भी हैरानी की बात है कि, यदि सरकार की अनुमति के बिना हेलीपैड बनाया गया, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इससे एक बात तो साफ है कि, हेलीपैड निर्माण में किसी बड़े अधिकारी का हाथ जरूर है। बिना किसी बड़े अधिकारी के संरक्षण के हेलीपैड न बनाने के आदेश के बावजूद यह निर्माण कराया गया।
मामले में अब देखना होगा कि, जीरो टाॅलरेंस की सरकार इस मसले में दोषियों पर क्या कार्रवाई करती है।
देखें आरटीआई का जवाब
देखें वह शासनादेश, जिसे विभाग और प्रशासन उपलब्ध नहीं होने की बात कह रहे हैं-