देहरादून: हेली सेवा के टेंडरों को लेकर सरकार यूकाडा के आला अधिकारियों के इशारों पर नाचती रही। सरकार को इस मसले पर गंभीरता से विचार करने के लिए कई बार संगठन के पदाधिकारियों से लेकर मंत्रियों और दूसरे लोगों ने कहा। लेकिन मुख्यमंत्री मौन है । इधर, सब कुछ होने के बाद भी सरकार सोती रही। उसका नतीजा यह हुआ कि डीजीसीए ने भी सरकार की तरह निजी हेली आॅपरेटरों पर ही फोकस किया। यूकाडा पूरी तरह से निजी हेली आॅपरेटरों की सेवा में लगी रही। उसके परिणाम सामने हैं। डीजीसीए की टीम ने सभी निजी आॅपरेटरों के हेलीपैडों को उड़ान की अनुमति दे दी, लेकिन सरकारी हेलीपैडों, खासकर यमुनोत्री धाम खरसाली के हेलीपैड को मानक पूरे नहीं होने पर उड़ान और हेलीकाॅप्टर उतारने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इससे यूकाडा के साथ ही सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े होते हैं। दूसरा यह की खरसाली हेलीपैड के पास मोबाइल टॉवर लगाते समय इस बात का ध्यन क्यों नहीं रखा हया की इनके लगने से हेलीकाप्टर की लैंडिंग नहीं हो पायेगी। बड़ी बात यह है की बड़कोट में जिस हेलीपैड पर हेलीकाप्टर उतर रहे हैं, वह पूरी तरह काचा है। हेलीपैड पर चरों तरफ मिट्टी बिखरी पड़ी है।
सरा मसला यह है कि सरकार ने किसी तरह बद्रीनाथ और गंगात्री के हेलीपैडों को तो उड़ान के लिए खुलवा लिया, लेकिन यमुनोत्री धाम के खरसाली हेलीपैड को लेकर सरकार अब भी गहरी नींद में है। सरकार ने खरसाली हेलीपैड को दुरुस्त करने के बजाया यमुनात्री से 49 किलोमीटर पहले धाम के मुख्य पड़ाव बड़कोट में अस्थाई हेलीपैड बना दिया। सवाल यह है कि जब खरसाली में बना पक्का हेलीपैड फिट नहीं है, तो बड़कोट का अस्थाई हेलीपैड कैसे सुरक्षित हो सकता है। हेलीपैड से बाजार तक पहुंचने के लिए ढंग से सड़क तक नहीं है। पीने के पानी की कोई सुविधा और शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सरकार निजी हेली आॅपरेटरों को खुश करने के लिए यात्रियों की जान को खतरे में तो नहीं डाल रहे हैं। इससे यात्रियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने पहले से ही पांच दिन और चार रात का पैकेज बुक कराया है। खरसाली हेलीपैड को अनुमति नहीं मिलने के कारण यात्रियों का बजट भी 40 से 50 हजार तक बढ़ गया है।