विनीता पंगेनी की रिपोर्ट…
देहरादूनः नदी में अवैध निर्माण करने के चलते चर्चित हुए सुमेरू प्रोजेक्ट मामले में आज डीएम साहब भड़क उठे। उन्होंने हैलो उत्तराखंड के माइक को धकेलते हुए कहा Enough! इतना ही नहीं उन्होंने भड़कते हुए ये तक कह डाला कि इस तरह के सवाल नहीं पूछने चाहिए।
तो अब मिडिया उनसे क्या सवाल करे और क्या न करे इसका फैसला भी डीएम एस0ए मुरूगेशन करेंगे?
ऐसे में प्रेस की स्वतंत्रता का क्या होगा?
क्या किसी घोटाले के बारे में जानने या उसे उजागर करने का हक मीडिया नही रखता है?
आखिर जांच रिपोर्ट में ऐसा क्या है जिसे डीएम साहब मीडिया को नहीं बताना चाहते?
क्या कोई प्रशासनिक अधिकारी अपने जवाबदेही या जिम्मेदारी को किनारे रखते हुए , ये कहने के लिए अधिकृत होता है कि मुझे इन मामलों में बात करने का मन नही है?
क्या आपके मन और मूड के हिसाब से मीडिया काम करेगा?
आपको बता दे कि सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी पर बडोवाला आरकेडिया ईस्ट हप टाउन में नदी की जमीन पर अवैध कब्जा व निर्माण करने का मामला इस समय खासा सुर्खियो में है। इस प्रोजेक्ट पर काँग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली ने हाई कोर्ट में मामला दर्ज कर रखा है।
सुमेरू प्रोजेक्ट मामला एक ओर कोर्ट जा पहुंचा है तो वहीं इस मामले में हुई जांच की रिपोर्ट एडीएम द्वारा डीएम को सौंप दी गई थी जिसे डीएम साहब ने कोर्ट में सौंप दिया है।
इसी जांच रिर्पोट के बारे में जब हैलो उत्तराखंड की पत्रकार ने डीएम से चंद सवाल पूछे तो उन्होंने किसी चीज का लिहाज न रखते हुए माइक को धकेल दिया साथ ही हाथों से इशारा करते हुए कैबीन से बाहर जाने को कहा? और अपनी कुर्सी से खड़े हो गए..
अब सवाल ये उठता है की सुमेरु प्रोजेक्ट की जाँच रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो डीएम अपनी कुर्सी से ही खड़े हो गए और महिला रिपोर्टर को बाहर जाने के इशारे करने लगे।
डीएम साहब! अपनी कुर्सी का न सही कम से कम महिला पत्रकार का लिहाज तो आप कर लेते।
सूत्रों की माने तो जो जांच रिपोर्ट डीएम द्वारा कोर्ट को सौंपी गई है उस रिपोर्ट में नदी की जमीन को किसी के नाम पर दर्ज दिखाया हैै।
जानकारों की माने तो देश आजाद होने के बाद 1950 के जमीदारा एक्ट में लिखा है की नदी क्षेणी की जमीन का न परिवर्तन हो सकता है और न आवंटन हो सकता है, तो ये जमीन किसी के नाम पर कैसे है?