देहरादून: पिछले दो-तीन सालों से लगातार चर्चाओं में चल रहे उच्च शिक्षा विभाग के प्रवक्ता पद से सीधे आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में कुलसचिव बनकर आए मृत्यूंजय मिश्रा एक बार फिर चर्चाओं में हैं। उनको दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त के पद से हटा कर अपने मूल विभाग में भेज दिया गया है। मृत्यूंजय मिश्रा ज्वाइन करते हैं या नहीं यह अलग बात है, लेकिन फिलहाल उनको तत्काल अपने मूल विभाग में ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. मिश्रा मूल रूप से उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षक हैं। लेकिन ऊंची पहुंच की वजह से सरकार ने उन्हें 2016 में स्थाई रूप से आयुष विभाग में मर्ज करते हुए आयुर्वेद विवि का स्थाई कुलसचिव नियुक्त कर दिया था। राजभवन ने कड़ा ऐतराज जताते हुए मिश्रा को हटाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद सरकार हरकत में आई थी और उनको हटा दिया गया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मृत्युंजय मिश्रा को मूल विभाग में भेजने के बजाय दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त बनाकर तैनाती दे दी थी। तब से वे दिल्ली में ही तैनात थे। लेकिन, पीसीएस अफसर इलागिरी को दिल्ली में स्थानिक आयुक्त बनाने के साथ ही मिश्रा को उनके मूल विभाग उच्च शिक्षा में भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अपर सचिव चंद्रेश कुमार ने आदेश जारी किया है कि डॉ. मृत्युंजय कुमार मिश्रा तो तत्काल उनके पद से हटाया जाता है। साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने मूल विभाग में ज्वाइन करेंगे।
इसकी भी चर्चाएं
मृत्यूंजय मिश्रा को लेकर एक बात की चर्चा यह चल रही है कि उनको फिर से आयुर्वेदिक विष्व विद्यालय में कुलसचिव बनाया जा सकता है। दरअसल, मिश्रा की अपर स्थानिक आयुक्त बनने से पहले अंतिम तैनाती उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में बतौर कुलसचिव थी। इसलिए माना जा रहा है कि उन्हें वहां से हटाने के बाद फिर से आयुर्वेद विवि में भेजने की तैयारी है। फिलहाल इस तरह के कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं। इस बात की इसलिए भी चर्चा चल रही है कि आयुर्वेद विवि में वर्तमान प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजेश अधाना की तैनाती पर लगातर सवाल उठते रहे हैं। उनकी नियुक्ति को नियमविरुद्ध बताया जा रहा है।