देहरादून: केदारनाथ हेली सेवा के साथ विवादों का जैसे नाता-सा हो गया है। हर वर्ष की तरह ही टेंडर से लेकर और यात्रा के आखिरी दिन तक हेली सेवा से एक के बाद एक विवाद जुड़ता ही जाता रहा है। टेंडर के समय हेली का विवाद उत्तराखंड हाईकोर्ट तक पहुँच गया था, तो अब जबकि हेली सेवा शुरू भी हुई तो राष्ट्रिय राजधानी तक यानि दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुँच गया है। गुरूवार को मामले में सुनवाई होगी।
दरअसल, नियमानुसार चारधाम यात्रा के लिए उड़ान भरने वाली सभी एविएशन कम्पनियों को कम-से-कम 70 प्रतिशत टिकटों की बिक्री ऑनलाइन ही करनी होती है, जिससे सभी यात्रियों को हेली सेवा का लाभ लेने का समान अवसर प्राप्त हो और ब्लैक टिकटिंग से भी बचा जा सके। लेकिन केदारनाथ यात्रा के लिए किसी भी कम्पनी की टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में एक टूर ऑपरेटर ने मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने केदारनाथ में सेवा दे रहे तीन कम्पनियों को पक्षकार बनाया है। साथ ही उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूकाडा) को भी पक्षकार बनाया है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, इन कंपनियों की कोई भी टिकट ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है और सभी टिकटों की बिक्री पूरी दिखाई जा रही है। ऐसे में ऑनलाइन टिकटों की बिक्री से कम्पनियों के खाते में आयी रकम का भी ब्यौरा उपलब्ध करने की बात कही गई है। वहीँ टिकटों की बिक्री को लेकर नियमों की खिल्ली उड़ाने पर यूकाडा द्वारा कोई कार्यवाही भी नहीं करने को लेकर यूकाडा को भी पक्षकार बनाया गया है, कि आखिर ऐसी कम्पनियों पर क्यों कोई कार्यवाही नहीं की गई। कम्पनियों पर आरोप है कि, इन कम्पनियों द्वारा बड़े ट्रेवल ऑपरेटरों को पहले ही टिकटें बेचीं जा चुकी है। साथ ही इन बड़े ट्रेवल ऑपरेटरों के हज़ारों यात्री पहले ही हेलीपैडों पर मौजूद रहते हैं और वही उड़ाने भरते हैं।
मामले में यूकाडा का कहना है कि, सभी हेली कम्पनियों से ई-टिकटिंग बिक्री पर ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया है, ऐसे में यदि कोई नियमानुसार ई-टिकटिंग बिक्री नहीं की गई तो उसकी उड़ानों पर ही रोक लगा दी जाएगी।
ऐसे अब मामला जो भी हो, लेकिन ऑनलाइन हेली टिकटों के उपलब्ध ना होने के चलते कई यात्रियों को निराश ही वापस लौटना पड़ रहा है। इससे धाम के लिए हेली सेवाओं का लाभ उन्हें नहीं पा रहा है।