अब आपदा पीड़ितों को सरकार को देने होंगे पैंसे, वो भी जीएसटी के साथ!

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देहरादून: अब प्रदेश के आपदा पीड़ितों को सरकार को पैंसे देने होंगे, वो भी जीएसटी के साथ। अब जनता की ही चुनी हुई सरकार आपदा के समय मदद के एवज में जनता से पैसे लेगी। इसके लिए बाकायदा आदेश जारी किया गया है। आदेश को मुख्यमंत्री को महिमामंडित करते हुए लिखा गया है। सीएम साहब के विशेष अनुमोदन पर। ये कैसा अनुमोदन है सीएम साहब।

जनता को अपनी ही चुनी सरकार को अपनी जान बचाने के एवज में 2100 रुपये देने होंगे। इतना ही नहीं इसमें जीएसटी को जोड़कर कुल 3100 रुपये चुकाने होंगे। जो आदेश जारी किया गया है। उसकी भाषा भी चौंकाती है। विषय में लिखा गया है कि आपदा में सहायता के लिए पिथौरागढ़ में तैनात हेलीकॉप्टरों से सामान्य यात्रियों की सहायता के लिए…। सवाल इसी पर है कि क्या आपदा में फंसा व्यक्ति सामान्य स्थिति में होगा। जो लोग आपदा की मार झेल रहे हैं, वो कैसे सामान्य हो सकते हैं।

गजब हैं सरकार आप। लोग मर रहे हैं और आपको पैसा चाहिए। आपने तो शपथ ली थी नागरिक सुरक्षा की। भूल गए हैं या याद है। ये फरमान आपका है या किसी और ने आपको सलाह दी है। अगर सलाह दी है, तो सलाह देने वाले को भष्मासुर समझें। अगर यह निर्णय आपका है, जैसा आदेश में लिखा गया है, तो आपको इसे तत्काल वापस ले लेना चाहिए। कौन सामान्य है और कौन असामान्य। यह कौन तय करेगा ? लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उनके पास हेलीकॉप्टर का किराया देने के लिए पैसा कहां से आएगा।

ये बहुत हैरान कर देने वाली बात है। लोग आपदा के जख्मों से कराह रहे हैं। सरकार को उनके जख्मों पर मरहम लगाना चाहिए था, लेकिन हो उल्टा रहा है। लोगों के पास खाने तक के लिए राशन नहीं बचा और सरकार उनसे उनको बचाने की कीमत वसूल रही है।

यूकाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर राजेश मुकार की ओर से जारी आदेश से लोग खासे गुस्से में हैं। दरअसल, पिथौरागढ़ के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हालात बहुत खराब हैं। कई गांव ऐसे हैं, जहां पीने तक का पानी नहीं है। कुछ गांवों में संक्रमण की भी सूचना है। डॉक्टरों की टीमें भी रवाना की गई हैं। घर बह गए। खाने का सारा सामान बह गया। रहने का ठिकाना नहीं, खाने के लिए कुछ नहीं। क्या यह हालात सामान्य कहे जा सकते हैं।

वहीँ सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस आदेश पर जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। होनी भी चाहिए। आपदा में फंसे और परेशान लोगों से किराया वसूला जाएगा। क्या इसीलिए सरकार चुनते हैं कि जब उन पर मुसीबत आएगी, तो सरकार उनकी मदद करने के बजाय, उनको और मुसीबत में डाल देगी। ये यूकाडा भी गजब है। लोगों को इस बात का भी गुस्सा है कि सरकार किराया तो वसूल ही रही है। मुसीबत के वक्त टैक्स वसूली भी कर रही है। अगर कोई आपदा में फंसा है और ठीक है, तो भी उसे राहत दी जानी चाहिए। पर सरकार है कि किराए के साथ टैक्स भी वसूल करने का फरमान जारी कर दिया।

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