श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल इलाके में सरकारी बलों के साथ गुरुवार की रात हुई गोलीबारी में मारे गए आतंकी कमांडर जाकिर मूसा की अंतिम संस्कार में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। मुठभेड़ में मारे जाने के बाद आतंकी मूसा का शव उनके परिजनों को सौंपा गया था।
कश्मीर में चाहता था इस्लामिक राज
मई 2017 में जाकिर मूसा का एक वीडियो सामने आया था। इसमें उसने इस्लामिक शरिया के मुताबिक खलिफा राज्य स्थापित करने की बात कही थी। वहीं इसी वीडियो में जाकिर ने हिज्बुल से अपने संबंध खत्म करने की बात भी कही थी। अपने वीडियो संदेश में मूसा ने कहा था कि कश्मीर उसके लिए कोई फ्रीडम स्ट्रगल नहीं है बल्कि इस्लामिक स्ट्रगल है। अपनी इन्हीं बातों को लेकर हिज्बुल ने जाकिर से दूरी बना ली है।
ड्राप आउट स्टूडेंट था मूसा
मूसा कश्मीर में इस्लामी जेहाद के एक बड़ा चेहरा था। 25 वर्षीय मूसा एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता था। उसने आतंक की दुनिया में कदम रखने से पहले चंडीगढ़ के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की थी। 2013 में में वह फेल हो गया जिसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और वापस पुलवामा में अपने गांव नूरपुर चला गया था। यहींं से उसके आतंकी बनने की कहानी भी शुरू हुई।
10वीं-12वीं में फर्स्ट डिवीजन से हुआ था पास
जाकिर राशिद भट्ट का जन्म 25 जुलाई 1994 को अवन्तिपुर के नूरपुर में हुआ था। मूसा के पिता अब्दुल राशिद भट्ट सिंचाई विभाग में सरकारी कर्मचारी थे। मूसा का भाई शकीर श्रीनगर में डॉक्टर है जबकि उसकी बहन जम्मू-कश्मीर बैंक में कार्यरत है। मूसा पुलवामा के जवाहर नवोदय विद्यालय में एडमिशन मिला था लेकिन इसके बावजूद उसने अपने गांव के नूर पब्लिक स्कूल में ही पढ़ाई जारी रखी और 10वीं परीक्षा में 65.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उसके बाद उसका एडमिशन नूरपुर के उच्चतर माध्यमिक स्कूल में हुआ था। उसने 12वीं भी फर्स्ट डिवीजन से पास की थी।