मध्य प्रदेशः देशभर में मी टू का शोर चल रहा है। मी टू के चलते सरकार के एक मंत्री तो इस्तीफा तक देना पड़ा, लेकिन देश के सूचना प्रसारण मंत्रालय और प्रसार भारती में काम करने वाली उन महिलाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जिन्होंने आॅल इंडिया रेडियो के असिस्टेंड डायरेक्टर रत्नाकर भारती पर पिछले साल यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस मामले के बाद कर्मचारी संगठन मुखर हो गए हैं। मामले को कोर्ट में लेकर जाने की भी तैयारी चल रही है।
मध्य प्रदेश के शहडोल स्थित ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) की नौ महिलाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया है। सभी नौ महिलाओं ने बीते साल स्टेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर (प्रोग्रामिंग) रत्नाकर भारती के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे। मामवे में रत्नाकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और एआईआर की आंतरिक जांच कमेटी ने भी करीब एक साल पहले उनको दोषी पाया। इस सबके बावजूद रत्नाकर अभी एआईआर दिल्ली में काम कर रहे हैं, जबकि सभी नौ महिलाओं की सेवा समाप्त कर दी गई है।
ऐसे ही मामले कुछ दूसरे शहरों से भी सामने आए हैं। धर्मशाला, ओबरा, सागर, रामपुर, कुरुक्षेत्र और दिल्ली स्टेशनों में एआईआर की कर्मचारी यूनियन का कहना है कि हाल ही में इन स्टेशनों पर यौन शोषण के मामलों में आरोपी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है जबकि शिकायत करने वाली महिलाओं को नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया है। सभी छह स्टेशनों पर यौन शोषण के मामलों को गंभीरता से लेने के लिए यूनियन की ओर से प्रसार भारती के चीफ एग्जेक्यूटिव को पत्र भी लिखा गया है।
टीओआई के मुताबिक, ऑल इंडिया रेडियो के डीजी फैयाज शहरयार का कहना है कि जो भी मामले सामने आया, उसकी जांच आंतरिक कमेटी ने की और कार्रवाई हुई। उन्होंने कहा कि शहडोल में रत्नाकर के खिलाफ शिकायत के बाद तुरंत ही उनका ट्रांसफर दिल्ली किया गया और अभी भी वो कमेटी की सख्त निगरानी में हैं। शहरयार का कहना है कि रत्नाकर के खिलाफ शिकायत और महिलाओं की सेवा समाप्त करने का कोई संबंध नहीं है। शहरयार ने कहा किजिन लोगों का काम कमजोर होता है, उनकी सेवाएं समाप्त की जाती हैं, ये हमारा नियम है, इसे किसी और तरह से देखने का कोई मतलब नहीं है।