कोलकाता: देश में राजनीति माहौल लगातार नए रंग दिखा रहा है। सीबीआई अपने आतंरितक मामलों को लेकर पहले ही कोर्ट में उलझी नजर आ रही है। ऐसे में राज्यों में सीबीआई की एंट्री पर रोक से नई परेशनियां खड़ी हों गई हैं। आंध्र प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी सीबीआई को राज्य में छापे मारने या जांच करने के लिए दी गई सामान्य रजामंदी वापस ले ली है।
आंध्र प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने बिल्कुल सही किया। भाजपा अपने राजनीतिक हितों के लिए सीबीआई और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। पश्चिम बंगाल में 1989 में तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई को सामान्य रजामंदी दी थी। सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। सीबीआई को अब से अदालत के आदेश के अलावा अन्य मामलों में किसी तरह की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी।
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सीबीआई को राज्य में कानून के तहत शक्तियों के इस्तेमाल के लिए दी गई सामान्य रजामंदी वापस ले ली थी। प्रधान सचिव गृह ए.आर अनुराधा की ओर से आठ नवंबर को इस संबंध में एक गोपनीय सरकारी आदेश गुरुवार की को लीक हो गया। आदेश में कहा गया कि दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 की धारा छह के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, सरकार दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सभी सदस्यों को आंध प्रदेश राज्य में इस कानून के तहत शक्तियों और क्षेत्राधिकार के इस्तेमाल के लिउ दी गई सामान्य रजामंदी वापस लेती है।
इस साल तीन अगस्त को आंध्र सरकार ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून सहित विभिन्न कानूनों के तहत अपराधों की जांच के लिए केंद्र सरकार, केंद्र सरकार के उपक्रम के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ जांच के लिए आंध्र प्रदेश में शक्तियों और क्षेत्राधिकार के इस्तेमाल के लिए दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सभी सदस्यों को सामान्य रजामंदी देने वाला सरकारी आदेश जारी किया था। सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून के तहत काम करती है। इस साल मार्च में नरेंद्र मोदी सरकार से संबंध तोड़ने के बाद से नायडू आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में कर रहा है।