नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का साथ छोड़ सकते हैं। इससे बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख पिछले कुछ सप्ताहों से भाजपा और उसके अहम सहयोगी दल के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं।
रालोसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। रालोसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कुशवाहा आज भाजपा से अपनी राह अलग करने की घोषणा कर सकते हैं। वह केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे देंगे।”
कहा जा रहा है कि रालोसपा विपक्ष से हाथ मिला सकती है जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस शामिल हैं। वहीं कुशवाहा ने भी न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि आज होने वाली एनडीए के सहयोगी दलों की बैठक में वह हिस्सा नहीं लेंगे। माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। उसके बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे।
वहीं दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। रालोसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘‘कुशवाहा आज भाजपा से अपनी राह अलग करने की घोषणा कर सकते हैं। वह केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे देंगे।” रालोसपा विपक्ष से हाथ मिला सकती है जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस शामिल हैं। बिहार से लोकसभा में 40 सांसद आते हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने इससे पहले बिहार में एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेने के भी संकेत दे चुके हैं। बीते दिनों मोतिहारी में उन्होंने कहा था कि लोग हमारे भविष्य की रणनीति को लेकर आस लगाए बैठे हैं। उनको मैं साफ़ करना चाहता हूं कि सुलह-समझौता करने के उनके सभी प्रयासों को अब तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए आने वाले दिनों में उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता की पंक्तियां बोली कि ‘अब याचना नहीं रण होगा संघर्ष बड़ा भीषण होगा।’