गांधी नगर से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और कानपुर से मुरली मनोहर जोशी के टिकट काटने के बाद बीजेपी ने अब स्टार प्रचारकों की सूची से भी उन्हें बाहर कर दिया है। लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। इस सूची में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम नहीं है। इतना ही नहीं इस लिस्ट में केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी और सांसद वरुण गांधी का नाम भी इसमें शामिल नहीं है।
BJP has released list of star campaigners for #LokSabhaElections2019 for UP. PM Narendra Modi, Amit Shah, Rajnath Singh, Nitin Gadkari, Arun Jaitley, Sushma Swaraj, Uma Bharti feature on the list. Names of LK Advani & Murli Manohar Joshi missing from the list 40 star campaigners
— ANI UP (@ANINewsUP) March 26, 2019
बीजेपी की जारी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और उमा भारती समेत 40 स्टार प्रचारकों को नाम हैं। सूची में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। सूची के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम काफी नीचे खिसक गया है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे बड़े प्रचारक बनकर उभरे थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए जारी सूची में उनका नाम 16वें स्थान पर दर्ज है। यूपी में योगी आदित्याथ की प्रचारकों की सूची में निचे खिसकना उनके लिए शुभ संकेत नहीं है।
बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी की संसदीय सीट गांधीनगर से इस बार बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को उतारा गया है। दूसरी ओर मुरली मनोहर जोशी को पार्टी की ओर से टिकट न देने के फैसले को लेकर बीजेपी के संगठन महासचिव राम लाल ने मुलाकात की। खबरों की माने तो राम लाल ने मुरली मनोहर जोशी को पार्टी का फैसला बताया और उन्होंने जोशी को कहा कि पार्टी चाहती है कि आप पार्टी ऑफिस आकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करें। लेकिन जोशी ने ऐसा करने से मना कर दिया। साथ ही उन्होंने राम लाल से कहा कि अगर चुनाव न लड़वाने का फैसला हुआ है तो कम से कम पार्टी अध्यक्ष को आकर हमें बताना चाहिए था।
लाल कृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की टिकट कटने के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि एक तरफ वे ताकतें सत्तासीन हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी में पिता समान नेता लालकृष्ण आडवाणी को दरकिनार कर दिया और राजनीति से जबरन सेवानिवृत्त कर दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी है जो पंडित सुखराम जैसे बुजुर्गों का अशीर्वाद लेकर देश को नई दिशा देना चाहती है।