नंद किशोर गर्ग रानीखेतः प्रदेश भर में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चर्मा रखी हैं। जहां डॉक्टर हैं वहाँ पर्याप्त साधन नहीं, जहाँ साधन हैं वहां डॉक्टर नहीं। अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में जो मशीन मरीजों का इलाज करने के लिए रखी गई वो धूल फांक रही हैं। हैरत कर देने वाली बात तो यह है कि सबको इस बाबत पता है लेकिन कोई इसकी सुध लेने को तैयार नहीं।
दरअसल राजकीय चिकित्सालय जो विधायक करन मेहरा के पिता जी व पूर्व सीएम हरीश रावत के ससुर गोबिन्द सिंह मेहरा के नाम पर है वो सुविधाओं से विहीन हैं। डेढ दशक पूर्व एक्सरे की डिजीटिल मशीन करीब 60 लाख रु0 की चेन्नई की फर्म से खरीदी गई। पहले तो कई सालों तक डिब्बे में यह मशीन बन्द पड़ी रही। उसके बाद 3-4 साल पूर्व जब मशीन शुरु की गई तो उसने कुछ ही माह के बाद अपना दम तोड़ दिया। जिसके बाद करीब 60 लाख रूपए की यह मशीन अब मात्र एक शोपीस बन गई है।
भले ही अस्पताल प्रशासन मशीन को ठीक करवाने के लिए कई पत्राचार भेज चुका हो लेकिन यह मशीन केवल कुछ ही माह चल पाई। जिससे साफ है कि इतनी भारी मात्रा में खर्च हुए पैसों की कोई कीमत नहीं। वहीं अस्पताल प्रशासन और कंपनी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठना लाजमी है कि कहीं कंपनी ने डुबलिकेट मशीन तो नहीं सौंप दी? या फिर इस खरीद-फरोख्त में भी कोई गड़बड़झाला किया गया? क्योंकि यह मशीन अपनी समय सीमा से पहले ही अपने प्राण छोड़ चुकी है। जिसकी कीमत मरीजों को चुकानी पड़ रही है।
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