मंयक ध्यानी
पिछले काफी दिनों से एक महिला जिसकी उम्र लगभग 28 से 30 के बीच में होगी, गर्भ में बच्चा लिए सड़को में झूठन खा रही है। कुछ उसे पागल कह रहे हैं तो कुछ उसके साथ हुई दरंदगी की दास्तां सुना रहे हैं।
कहा जा रहा है कि उस मासूम अकेली महिला की आबरू को कुछ लोग ने तार तार कर दिया है।
जिसकी गवाही उसके पेट में पलने वाला बच्चा दे रहा है। वो दिनभर सड़को पर गुमसुम इधर-उधर घूमती है और रात होते ही किसी दुकान के शटर के नीचे आंखे मीच लेती है।
उसकी इस हालात पर न शासन को दया आ रही है औऱ न चमोली प्रशासन ही कोई सुध ले रहा है।
समाजिक कार्यकर्ता शशि भूषण द्वारा आज प्रेसवार्ता कर गोंचर में रहने वाली इस महिला कि सुरक्षा को लेकर डीएम चमोली विनोद कुमार सुमन पर कई आरोप लगाए गये ।
शशि भूषण का कहना है कि इस महिला कि सुरक्षा हेतु इसकी जांच कर इसे नारी निकेतन भेजना जरूरी था। जिसके लिए हमने डीएम चमोली से बात कर उन्हे इस महिला की हालात की जानकारी दी तथा इसे अपने खर्च पर नारी निकेतन ले जाने की अनुमती भी मांगी।
लेकिन डीएम साहब ने हमसे कहा कि अगर कोई अननोन या कोई लीडर इस महिला को ले जाता है तो हमे कोई मतलब नहीं है लेकिन अगर आप मुझसे लिखित में अनुमती मांगते है तो पहले मैं आपकी जांच करवाऊंगा उसके बाद कोई फैसला लूंगा।
हालांकि शशि भूषण का कहना है कि उन्होनें 21 मार्च को जिलाधिकारी को अपना पहचान पत्र और फोटो दे दिया था लेकिन अब तक कोई कार्यवाही प्रशासन द्वारा नहीं की गयी है।
इस मामले में जब हमने चमोली डीएम विनोद कुमार सुमन से इस महिला के बारे में पूछा तो उन्होनें साफ कहा कि ये महिला पिछले कई दिनों से हमारे क्षेत्र में नहीं है, उसके मिलते ही उसकी जांच कर उसे नारी निकेतन भेज दिया जाएगा।
साथ ही शशिभूषण के आरोपों पर बोलते हुए उन्होने कहा कि हम यूं ही किसी के साथ किसी महिला को नहीं भेज सकते, शशिभूषण द्वारा कोई भी प्रमाण पत्र उन्हें नहीं दिया गया है।
एक असहाय और बेबस महिला अगर इस तरह उदासीनता का शिकार बन रही है, तो यह सच में इस प्रदेश के लिए शर्म की बात है।