देहरादून: दून में महिला सर्राफ व्यवसायी से अप्रैल में हुई लूट की वारदात के तार बिजनौर में पुलिस अभिरक्षा में मारे गए शाहनवाज अंसारी और उसके गैंग ने अंजाम दी थी। पुलिस ने लूट में शामिल एक आरोपी को कश्मीर के कुलगाम इलाके से गिरफ्तार कर पूरी साजिश से पर्दा उठा दिया।
मामले के अनुसार, थाना नेहरू कालोनी के अंतर्गत सरस्वती विहार में सिद्धार्थ ज्वैलर्स की दुकान में कुछ हथियारबन्द नकाबपोश बदमाशों ने अस्लहों के बल पर लूट की घटना को अंजाम दिया था। मामले में लवि रस्तोगी पत्नी सुबोध रस्तोगी निवासी सिद्धार्थ ज्वैलर्स, ए ब्लाक, थाना नेहरूकालोनी ने लिखित तहरीर दी, जिसके आधार पर थाना नेहरू कालोनी में मुअसं 101/19 धारा 392 भादवि बनाम अज्ञात पंजीकृत किया गया।
इस पर पुलिस टीम ने घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, तो फुटेज में दोपहर के समय दो हथियारबन्द, जो चेहरे में रूमाल बांधकर दुकान के अन्दर घुसते दिखे। जिनमें से एक के हाथ मे पिस्टल थी, जिसने दुकान में बैठी महिला लवि रस्तोगी को पिस्टल दिखाकर दुकान के कोने में बन्धक बना लिया और दूसरे व्यक्ति ने दुकान में रखे सोने-चांदी के जेवरात एक बैग में भर लिये। इसी दौरान उक्त महिला लवि रस्तोगी एकदम से बाहर की ओर भाग गयी जिस कारण उक्त बदमाश दुकान का लौकर नहीं खोल पाये और दुकान के बाहर खडे अपने तीसरे साथी के साथ मोटर साइकिल से भाग गये।
पुलिस टीमों ने घटनास्थल व उसके आस-पास के सीसीटीवी कैमरों का अवलोकन कर उक्त बदमाशों के आने-जाने के रूट के सम्बन्ध में जानकारी ली। मुखबिर सूचना पर सीसीटीवी फुटेजों में दिखने वाला एक अभियुक्त नजीबाबाद का रहने वाला सामने आया, जो इस समय कश्मीर में रह रहा था। पुलिस टीम ने कश्मीर क्षेत्र में 2 जनवरी को घटना में सम्मिलित एक अभियुक्त मौ0 विशाल पुत्र शमशाद निवासी ग्राम तिलोकावाला, थाना रायपुर जिला बिजनौर हाल निवासी: हाबलिस थाना देवसर जिला कुलगाम कश्मीर को गिरफ्तार किया। जिसे 3 जनवरी को कश्मीर में ही न्यायालय के समक्ष पेश कर अभियुक्त का ट्रांजिट रिमाण्ड लेकर देहरादून लाया गया।
पूछताछ का विवरण:
पूछताछ में अभियुक्त मौ0 विशाल ने बताया कि मैं तिलोकावाला गांव का रहने वाला हूं और पूर्व में कश्मीर में रहकर नाई का काम करता था, कुछ समय पूर्व मैं अपने एक साथी साबिर जो मेरे पडोस के गावं का है के साथ देहरादून काम के सिलसिले मे आया था, जहाँ पर मेरी मुलाकात शाहनवाज अन्सारी नि0 बडा कनकपुर जनपद बिजनौर से हुई, जो एक शातिर किस्म का अपराधी था और पुलिस से बचने के लिये अलग-अलग स्थानों पर छुप रहा था। शाहनवाज ने मुझे देहरादून में कुछ समय के लिये मुकीम, जो पेण्टर का काम करता था, के साथ रूकने के लिये कहा, कुछ समय देहरादून रूककर मैं साबिर के साथ वापस घर चला गया। उसके पश्चात् 13 अप्रैल को शाहनवाज ने साबिर के माध्यम से मुझसे सम्पर्क कर मुझे देहरादून आने को कहा। 14 अप्रैल को मैं देहरादून पहुंचा और यहां पर मुकीम ने चांचक गांव में किराये पर लिये गये कमरे में चला गया। वहां मुझे शाहनवाज और उसके दो अन्य साथी दानिश पुत्र इरफान व दानिश पुत्र तौकीर निवासी बडा कनकपुर मिले। शाहनवाज ने हमें बताया कि उसने व दानिस ने देहरादून में एक सुनार की दुकान की रैकी की है, जहां लूट की घटना करने पर उन्हें काफी माल मिल सकता है। चूंकि मैं कुछ समय पूर्व ही कश्मीर से वापस आया था और कोई काम धंधा न होने के कारण मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिये मैं घटना के लिये तैयार हो गया। शाहनवाज, दोनो दानिश व मैने मिलकर लूट की घटना को अंजाम देने की योजना बनायी। घटना को अंजाम देने के लिये हमें एक मोटर साइकिल की आवश्यकता थी, इसलिये मैं और बडा दानिश मेरे साले फिरोज, जो गढी कैन्ट में रहता था तथा उसके पास एक अपाचे गाडी थी के पास गये । मैने उससे किसी काम के लिये गाडी मांगी फिर हम दोनो वहां से माजरा आईएसबीटी पहुंचे जहां दानिश ने मुझे कमरे में जाने को कहा और वह गाडी लेकर कहीं चला गया। रात्रि 11 बजे दानिश बाइक लेकर कमरे में आया तथा उसने हमें घटना को अंजाम देने के लिये अस्लहे दिये। उस समय मुकीम भी हमारे साथ था। हमारे द्वारा अगले दिन घटना को अंजाम देने की प्लानिंग को अन्तिम रूप दिया गया। उसके बाद दानिश वहां से चला गया। घटना के दिन करीब साढे ग्यारह बजे हम सभी चांचक में मिले जहां पर शाहनवाज ने बाइक की नम्बर प्लेट पर एक पीली टेप लगाते हुए हमे घटना के बाद पुनः मिलने वाले स्थान के बारे में जानकारी दी। उसके पश्चात् मैं, दानिश व दूसरा दानिश, तीनों हैलमेट लगाकर चांचक से घटना करने निकले। बाइक छोटा दानिश चला रहा था, ज्वैलर्स की दुकान के पास पहुंचकर मैं व दानिश घटना को अंजाम देने के लिये पिस्टल सहित दुकान के अन्दर घुसे और बडा दानिश बाईक के पास बाहर रुककर निगरानी करने लगा। दुकान के अन्दर एक महिला व उसका छोटा बच्चा था, मैने महिला को पिस्टल की नोक पर बन्धक बना लिया और दानिश ने दुकान में रखे सोने व चाँदी के जेवरात लूट लिये, हमाने दुकान में रखे लॉकर को खोलने का प्रयास किया, कि तभी मौका देखकर वह महिला बाहर की तरफ भागी गयी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। जिस पर हम लोग डर गये और वहां से तुरन्त बाहर निकलकर अपने तीसरे साथी के साथ बाईक पर बैठकर भाग गये। निरंजनपुर पहुंचकर हम तीनो ने अपने ऊपर के कपड़े चेंज कर दिये ताकि पुलिस हमें पहचान न सके, फिर हम सभी मंडी चौक के पास पहुंचे, वहाँ पर हमारा एक साथी छोटा दानिस उतर गया। फिर मैं व बड़ा दानिस बाइक से मेहूंवाला की तरफ गये, पुलिस को चकमा देने के लिए हम लोग मेहूंवाला से पहले ही अंदर वनविहार हरभजवाला की तरफ चले गये और कुछ देर वहां रुकने के बाद हमने फिर कपडे बदले और बाहर आये। मेहूंवाला के पास बड़ा दानिस भी उतर गया और मैं वहां से बाईक चलाते हुए गोरखपुर में सहनवाज के कमरे पर चला गया। फिर करीब 2 घण्टे बाद दानिस व सहनवाज कमरे पर आये और करीब 1-2 घण्टे रुकने के बाद वो भी वहां से निकल गये। रात्रि करीब 7 से 8 बजे के बीच दानिस आया। फिर दानिस और मैं रात्रि करीब 8- 9 बजे गोरखपुर से बाईक छोड़ने गढ़ी कैण्ट गये और गढ़ी कैण्ट के पास दानिस ने अपनी बाइक उठाकर मुझे आईएसबीटी छोड़ा और मैं वहां से बिजनौर चला गया।
कुछ दिन बाद दानिस बिजनौर आया और मुझे एक अंगूठी एवं करीब 30 हजार रु0 देते हुये बताया कि लूट का सोना व चांदी सहनवाज व मुकीम व दूसरे दानिस ने बेच दिया, इसी में से तुम्हारा हिस्सा ये है। फिर मैं वहां से कुछ दिन बाद कश्मीर चला गया और इसी दौरान सहनवाज ने दानिस, जब्बार के साथ मिलकर फिर नजीबाबाद में हाजी एहसान व उसके भतीजे का मर्डर किया था। दानिस, सहनवाज को बिजनौर की पुलिस काफी समय से ढूंढ रही थी। फिर बिजनौर पुलिस ने करीब 2-3 महीने पहले दानिस को गिरफ्तार कर लिया था और उसके बाद सहनवाज को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा। दिल्ली पुलिस सहनवाज को लेकर बिजनौर कोर्ट में आयी थी, जहां पर हाजी एहसान के लड़के ने सहनवाज का मर्डर कर दिया। देहरादून में हमने जो लूट की थी, उस लूट में जो पिस्टल प्रयोग हुई, वो भी सहनवाज के पास ही थी और मुझे एक अंगूठी और 30 हजार रुपये मिले थे। बाकी के बारे में दानिस ही बता सकता है।