नई दिल्ली: सिंतबर के अंतिम हफ्ते में भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक को अपने नियंत्रण में ले लिया और जमाकर्ताओं की नगद निकासी पर सीमा तय कर दी गई हैं। इसके कुछ देर बाद एक वाट्सअप संदेश फॉरवर्ड होने लगा कि रिजर्व बैंक नौ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बंद करने की योजना बना रहा था। लेकिन ये झूठा संदेश था जिसने कायदे से अफरातफरी मचाई।
रिजर्व बैंक किसी सरकारी बैंक को बंद नहीं कर सकता
रिजर्व बैंक किसी सरकारी बैंक को बंद नहीं कर सकता है। उसके पास ये अधिकार नहीं है। जिन नौ बैंकों के बंद होने की बात ये फॉरवर्ड कर रहा था, उनमें से एक देना बैंक भी था। अब देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय हो चुका है। 2017 के अंतिम महीनों में और 2018 के शुरू के महीनों में जब सरकार वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआइ) विधेयक, लाने की सोच रही थी, कुछ ऐसी ही स्थिति पैदा हो गयी थी। तब कुछ वाट्सएप संदेश ऐसे वायरल हुए थे जिनमें बताने की कोशिश की गई थी कि बैंक में जमा पैसे पर केवल एक लाख रुपये तक का बीमा है। हालांकि ये बात गलत नहीं है।
इस साल 70 हजार करोड़ का निवेश
इस साल भी सरकार इन बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये निवेश करने का इरादा बना चुकी है। इसका सीधा सा मतलब ये है कि सरकार किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को बंद नहीं होने देगी। पहले भी देखा गया है कि अगर कोई बैंक बंद होने की कगार पर आ जाय तो रिजर्व बैंक उसका विलय किसी और बैंक के साथ करता है। पिछली सदी के आखिरी दशक में न्यू बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक के साथ कराया गया था।