देहरादून: देश मे एनआरसी को लेकर सियासत में मचे घमासान के बीच सीएम त्रिवेंद्र का बड़ा बयान सामने आया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त प्रदेश होने के कारण उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जा सकता है। इस सम्बंध में मंत्रिमंडल से करेंगे विचार विमर्श किया जा रहा है। क्योंकि उत्तराखंड नेपाल और चीन की सीमाओं से घिरा हुआ है ऐसे में आवश्यकता पड़ी तो प्रदेश में भी एनआरसी लागू किया जाएगा ।
बता दें कि एनआरसी से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है। इसके हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।गौरतलब है कि असम पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।
असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। इस मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं।