नई दिल्ली: घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन को संवैधानिक रूप से बरकरार रखने का आदेश दिया। कहा कि ये संशोधन घर खरीदारों के हितों की रक्षा करते हैं। जिसके बाद अब घर खरीदारों को वित्तीय लेनदार का दर्जा मिलेगा।
ये संशोधन घर खरीदारों को वित्तीय कर्जदाता का दर्जा देते हैं जिससे उन्हें अपने हितों का बचाव करने के लिये ऋणदाताओं की समिति का हिस्सा होने का अधिकार मिलता है। उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब बहुत से घर खरीदार अधूरी रीयल एस्टेट परियोजनाओं या अटकी परियोजनाओं को लेकर परेशान हैं। न्यायालय ने कहा कि रीयल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) को समरसता के साथ देखा जाना चाहिए और जहां आईबीसी तथा रेरा के बीच कोई टकराव उत्पन्न हो रहा हो तो आईबीसी के प्रावधान ही लागू होंगे।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने रीयल एस्टेट डेवलपरों की उस दलील को खारिज कर दिया कि रेरा आवासीय परियोजनाओं के लिए बनाया गया कानून है। ऐसे में इसे आईबीसी पर तरजीह दिये जाने की जरूरत है क्योंकि आईबीसी सामान्य कानून है जो मुख्य रूप से दिवाला से जुड़े मामलों से निपटता है।