देहरादून: पहाड़ की बेटियों ने समय-समय पर अपनी प्रतिभाओं का परचम दुनियाभर में लहराया है। इसी क्रम में एक बार फिर देवभूमि की बेटी ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में अपनी कविताओं से सबका दिल जीता। उनकी कविताओं से शनिवार शाम कवितामई हो गई। ये अवसर था पहाड़ की बेटी योजना साह जैन के नए काव्य संकलन ‘काग़ज़ पे फुदकती गिलहरियां’ के विमोचन का।
इस किताब का विमोचन भारतीय दूतावास के टैगोर सेंटर की डायरेक्टर मालती ने किया। कार्यक्रम का संचालन अमिकाल संस्था की संस्थापक और जर्मन विदेश मंत्रालय में कार्यरत अंजना ने किया। कार्यक्रम का प्रयोजन इंडो-जर्मन फिल्म वीक के अन्तर्गत अमिकाल द्वारा किया गया। किताब का अवलोकन संदेश इंडिया से वीडियो के जरिए जाने माने अंतरराष्ट्रीय कवि डा. प्रवीण शुक्ल द्वारा दिया गया। लंदन की कंपनी फारफेच के सी.डी.ओ क्षितिज कुमार द्वारा भी योजना का परिचय और किताब का अवलोकन किया गया। जर्मन विदेश मंत्रालय से जुड़ी प्रख्यात हिंदी अध्यापिका सुशीला ने भी किताब की विवेचना और काव्य पाठ किया। इस अवसर पर ऊर्दू अंजुमन संस्था के कई सदस्य भी शामिल हुए। उर्दू अंजुमन के डायरेक्ट आरिफ नकवी ने योजना को एक तरक्कीशील आज की कवियत्री कहा और कविताओं को खूब सराहा।
योजना मूल रूप से खैरना नैनीताल से हैं और उनके माता-पिता मीना साह और भुवन लाल साह वर्तमान में देहरादून में रह रहे हैं। योजना पेशे से वैज्ञानिक और शोधकर्ता हैं। उन्होंने अपनी स्नातक गढ़वाल विश्वविद्यालय और मास्टर्स बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेकनोलॉजी एंड साइंस, पिलानी, राजस्थान से की है। पिछले पंद्रह सालों से वे नामी फार्मा रिसर्च कंपनियों में कार्य करती आ रही हैं। योजना अपने पति प्रफुल जैन और बच्चों के साथ आजकल बर्लिन, जर्मनी में रह रही हैं।
योजना बताती हैं कि, लेखन से उनका बचपन से ही रिश्ता रहा है जो इस किताब के रूप में अब सबके सामने है। ये संकलन देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ से प्रकाशित हुआ है। ये किताब ई-कॉमर्स वेबसाइट ‘अमेज़न’ पर भी उपलब्ध है। इसके आलावा योजना ने बताया कि, वे कहानियां भी लिखती हैं और जल्द ही उनका एक कहानी संकलन सबके सामने होगा।
इस कार्यक्रम में ऊर्दू अंजुमन संस्था के कई सदस्य शामिल हुए। विमोचन के उपरांत काव्य संध्या में कई कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से लोगों को भाव-विभोर किया। कार्यक्रम की सफलता शुभ सूचक है कि योजना जैसे साहित्यकार हिन्दी साहित्य के परचम को हिंदुस्तान ही नहीं विदेशों में भी ऐसे ही फेहराते रहेगें।