अंधा सिस्टम, लाचार बुजुर्ग!

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अंधा सिस्टम, लाचार बुजुर्ग! 2 Hello Uttarakhand News »

पूर्णिमा मिश्रा, देहरादून। न घर में खाने का पर्याप्त अन्न, न पत्नी के इलाज के लिए पैसे और न बेटी को पढ़ाने में समर्थ। यह दर्द भरी कहानी है एक ऐसे बुजुर्ग की जो पेंशन के लिए दर-दर विभागीय अधिकारियों के चक्कर काट रहा, लेकिन अंधे हो चुके सिस्टम में किसी को भी उनकी दीनता नजर नहीं आ रही।

यह कहानी है देवप्रयाग के नौली ग्राम के थानेश्वर प्रसाद बंगवाल की, जिनकी लाचारी को देखकर किसी की भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। टिहरी जनपद के एक अस्पताल में वार्ड ब्वॉय के पद पर पिछले साल सेवानिवृत्त हुए थानेश्वर अब विषम आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। छोटी नौकरी करके हमेशा परिवार का गुजर बसर किया, लेकिन सेवानिवृत्त होने के बाद उनके उपर समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा है। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि बीमार पत्नी का इलाज करवाने के लिए तक भी उनके पास पैसे नहीं हैं, जिसके कारण उनकी पत्नी को अब अस्पताल से भी घर लाना पड़ा है। इस परिवार की आर्थिकी की एक आश वृद्धा पेंशन थी मगर वो भी साल भर से नहीं मिली है। कहने को तो उत्तराखंड में नौकरी पर तैनात अधिकारी से लेकर चपरासी तक के लिए सरकार ने पेंशन का प्रावधान रखा है, लेकिन बुजुर्ग को दर-दर भटकते देख विभागीय अधिकारियों की संवेदनशीलता पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

पीड़ित थानेश्वर प्रसाद बताते हैं कि वो टिहरी के एक अस्पताल में वॉर्ड बॉय के रूप में सेवारत थे। जिनका सेवाकाल अक्टूबर 2016 में पूरा हो गया, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उनकी पेंशन नहीं मिली। जो कुछ कमाई थी वो पत्नी और बेटियों की शादी में खर्च हो गया। अब न पत्नी के इलाज के लिए पैसे हैं और न ही बेटी की आगे की पढ़ाई के लिए।

खुद ही सुनिए इस लाचार बुजुर्ग की दास्तां, जिसे पेंशन के लिए कई बार विभाग, जिला प्रशासन से लेकर निदेशालय तक चक्कर कटवाए जा रहे, लेकिन अंधे नुमाइंदे फरियाद सुनने को राजी नहीं।

 हालांकि जब हमने टिहरी सीएमओ से इस बाबत जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि थानेश्वर प्रसाद के पुराने रिकॉर्ड गायब थे, जिसके कारण उनको पेंशन सुविधा से अभी तक वंचित रखा गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आगामी सोमवार तक ट्रैजरी में उनके पेंशन की प्रक्रिया के लिए पूरे कागजात और निर्देश आ चुके होंगें।देखा जाए तो रिकॉर्ड कार्यालय की लापरवाही से गायब हुए और भुगतना इस बुजुर्ग को पड़ा, अब सवाल यह उठता है कि आाखिर कब तक विभाग यूं ही ढीली व लचर कार्यवाही से बुजुर्गों  को परेशान करते रहेंगें?To Be continued…

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