नाकारा सिस्टम के आगे लाचार ग्रामीण!

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उत्तरकाशी। वर्ष 2010 व 2013 की आपदा में अपने आशियाने खो चुके कफनौल गांव के 20 परिवार विस्थापन की बाट जो रहे हैं। अनुसूचित जाति के प्रभावित परिवार हर पल खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं। ग्रामीण विस्थापन की मांग को दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। स्थिति यह है हि ग्रामीण किराए के भवनों में रहने को विवश हैं। ये गरीब कितनी लाचारी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं, सिस्टम के अंधे नुमाइंदों को यह भी नहीं दिखाई देता।

प्रभावित ग्रामीण धर्मिया लाल बताते हैं कि 2010 में कफनौल गांव के पास बहने वाले जोड़ा खड्ड तथा ऊपर-नीचे सड़क कटान के कारण अनुसूचित जाति की बस्ती भू-धंसाव की चपेट में आ गई थी जिससे ग्रामीणों के मकानों पर दरारें पड़ गई। वहीं जून 2013 की आपदा के कारण उनके मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिसके चलते गांव के 20 परिवार घर से बेघर हो गए। जिला प्रशासन ने इन परिवारों का क्षति का आंकलन कर इनको विस्थापन का आश्वासन तो दिया, लेकिन उसके बाद भी न तो ग्रामीणों को मुआवजा दिया और न ही कोई आर्थिक सहायता दी गई।

ऐसे में ग्रामीण लाचार नजर आ रहे हैं। एसडीएम बड़कोट का कहना है कि विस्थापन के लिए प्रस्ताव तैयार कर जिला प्रशासन को भेजा गया है। कफनौल के ग्रामीणों ने इस संबंध में डीएम से भी मुलाकात की। डीएम आशीष कुमार चौहान ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जल्द ही विस्थापन की फाइल शासन को भेज दी जाएगी। डीएम उत्तरकाशी ने हैलो उत्तराखंड न्यूज से बातचीत में बताया कि वह स्वयं मौके पर जाएंगे और उसके बाद जो भी संभव होगा, त्वरित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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