रुद्रप्रयाग जनपद कागजों में भले ही ओडीएफ घोषित हो चुका है मगर धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। स्वजल परियोजना से जुडे अधिकारी कर्मचारियों व ग्राम प्रधानों की मिली भगत का तब पर्दाफाश हुआ जब ग्राम पंचायत ढोंडा में जिलाधिकारी मंगेश धिल्डियाल ने हर घर पर पहुंचकर शौचालयों की जांच की, और वास्तविक हकीकत को जाना।
ग्राम पंचायत में विभाग के साथ हुए बान्ड के तहत 79 शौचालयों का निमार्ण होना था, मगर धरातल पर केवल 28 ही बने दिखे। बाकी 51 शौचालयों का कहीं भी पता नहीं है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि कागजों में पूरे शौचाल्य दर्शाए गए हैं। इससे भी बडा ताज्जुब तब हुआ जब जनता ने शिकायत की कि शौचालय की पहली किस्त जारी करने के एवज में उनसे एक से दो हजार रुपये मांगे गये और जिन्होने रुपये दिये उनकी तत्काल किस्त जारी हुई। यहां तक विकलांग लोगों से भी खुल्लेआम यह लूट का खेल चला।
हम आपको बता दें कि यह तो महज एक ग्राम पंचायत का ऐसा किस्सा सामने आया है। आये दिन हर पंचायतों से इसी प्रकार की शिकायतें आ रही हैं। जिसे जिलाधिकारी ने गम्भीरता से लिया है।
जिलाधिकारी ने भारी अनियमित्ता को मानते हुए ढौडा के ग्राम प्रधान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये और स्वजल प्ररियोजना के जखोली ब्लाक समन्वयक को निलम्बित करने की संस्तुति शासन को भेजी है। यही नहीं डीएम ने परियोजना से जुडे अधिकारियों के वेतन तब तक रोकने के निर्देश दिये जब तक पूरे शौचालय बनकर तैयार नहीं हो जाते। साथ ही डीएम ने साफ किया कि सभी प्रधान अपनी पंचायतों में एक माह के भीतर शौचालयों को अनिवार्य रुप से बनवा दें अन्यथा कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उत्तराखंड राज्य को चौथा राज्य के रूप में ओडीएफ घोषित किया। लेकिन हम आपको बता दें कि यह केवल कागजी तौर दर्शाए गए आंकड़ों के हिसाब ही घोषित किया गया। जबकि धरातल पर हकीकत कुछ और ही है।