देहरादून: चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवाओं को जैसे विवाद की आदत सी हो गई है। सेवा संचालन का कोई भी कदम ऐसा नहीं रहा जो विवादित ना हो। तमाम नियमों और लोगों की श्रद्धा-भावनाओं पर भी हेली सेवाएं भारी होते दिख रही हैं। नियमों के विरुद्ध जाने के कारण हाईकोर्ट तक मामला गया हो या यात्रियों को धाम दर्शनों से वंचित रहना पड़ गया हो, लेकिन उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (यूकाडा)को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
अब ताजा मामला अस्थाई तौर पर तीन दिन के लिए उडान के लिए स्वीकृत की गई एक कंपनी को चौथे दिन भी विस्तारित किया गया है। जबकि, जिस एक कम्पनी को टेंडर आवंटित किया गया है, उसे रोक दिया गया है। वहीँ दो अन्य कम्पनियां जिनको टेंडर आवंटित किया गया, उनमे एक वैध हेलिपैड और एक अवैध हेलिपैड (पूर्व शासनादेश के अनुसार) से उड़ान भरनी है।
दरअसल, चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवाओं के टेंडर का जिम्मा उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (यूकाडा) पर है। पहले यूकाडा की नीतियों के चलते तो यात्रा शुरू होने के बाद भी हेली सेवाएं शुरू नहीं हो सकीं, लेकिन जब यात्रा के बीच टेंडर आवंटित हुआ तो कुछ कम्पनियों ने टेंडर से हाथ पीछे खिंच लिए, फलस्वरूप प्रत्येक दिन हजारों यात्रियों के अनुपात में मात्र सात हेलीकॉप्टरों से ही उड़ाने भरनी पड़ी। जिसके बाद फिर से टेंडर जारी किये गया। इसी टेंडर के बीच तीन दिन के लिए अस्थाई उड़ानों के लिए यूकाडा की ओर से ईओआई जारी किया गया। लेकिन टेंडर की अंतिम तिथि और ईओआई की तिथि समाप्ति के बावजूद एक बार फिर इसे विस्तारित किया गया, परिणामस्वरूप बिना टेंडर एक कम्पनी की उड़ान जारी है।
वहीँ दोबारा निकले टेंडर में दो कम्पनियों को उड़ान की स्वीकृति मिलनी थी, जिसके लिए चार कम्पनियों ने आवेदन किया। जिनमे क्रिश्टल, पिनेकल, ग्लोबल और हेरिटेज एविएशन शामिल थी। टेंडर में सबसे कम रेट क्रिश्टल का, दूसरा पिनेकल का और तीसरा हेरिटेज का आया। लेकिन ऑनलाइन प्रस्तुती में पिनेकल की गलती के कारण यूकाडा ने हेरिटेज को स्वीकृति पत्र जारी कर दिया। बावजूद इसके अगले दिन फिर से हेरिटेज को पत्र जारी कर रोक दिया गया और पिनेकल को अस्थाई तौर पर उड़ान की अनुमति दी गई।
इस तरह टेंडर आवंटन वाली कम्पनी को रोककर अस्थाई तौर पर दूसरी कम्पनी को उड़ान की अनुमति से एक बार फिर यूकाडा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।