बागेश्वर: जिले में पिंडारी ग्लेशियर के ट्रैकिंग पर गए गुजरात के 21 युवाओं का दल फुरकिया से वापस लौट आया है। फुरकिया से आगे बर्फ से मार्ग बंद होने पर यह दल पिंडारी ग्लेशियर तक नही जा सका। ट्रैकरों ने बताया कि, इस ट्रैक में उन्होंने प्रकृति के अद्भुत दीदार किए। लेकिन उन्हें पिंडारी ज़ीरो पॉइंट न पहुँचने का मलाल रह गया। ट्रैक पर पड़ी हुई बर्फबारी उनके रास्ते में आड़े आ गयी।
इस बार फुरकिया के बाद पिंडारी ग्लेशियर का मार्ग बर्फ से बंद पड़ा है। हांलाकि पर्यटन विभाग और लोक निर्माण विभाग ने रास्ते को खोलने की कोशिश भी की लेकिन, पर्यटकों का कहना है कि फुरकिया के एक किलोमीटर बाद रास्ता काफी खतरनाक होने की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा।
गुजरात से आए इस दल में पन्द्रह साल से 22 साल तक के बच्चों ने इस हिमालयी यात्रा का जमकर लुफ्त उठाया। पहली बार हिमालय को इतने पास देख सभी अभिभूत हो उठे। पिंडारी ग्लेशियर से पहले फुरकिया पढ़ाव में जब ट्रैकरों का यह दल पहुंचा तो वहां हिमपात शुरू हो गया। पहली बार हिमपात के दीदार कर वो प्रकृति के इस रूप को देख चकित हो उठे। कुमाऊं मंडल विकास निगम के तत्वाधान में पिंडारी ग्लेशियर की यह पहली ट्रैकिग है। यह दल खाती गांव, द्वाली होते हुए फुरकिया तक ही पहुंच पाया।
गौरतलब है कि अंग्रेज शासक सर वीलियम ट्रेल ने इस बंद पड़े मार्ग को खोलने की कवायद की थी। पिंडारी ग्लेशियर के शीर्ष दर्रे को उन्हीं के नाम ‘ट्रेल दर्रा’ से जाना जाता है। जिस वजह से पिंडारी ग्लेशियर का ट्रैक देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध होने से यहां हर वर्ष हजारों की तादाद में ट्रैकर आते हैं।