नई दिल्ली: आज पूरे देश भर में बाल दिवस मनाया जा रहा है। सुबह से ही सोशल मीडिया में बाल दिवस को लेकर धड़ाधड़ संदेशा भेजा जा रहा है। लेकिन क्या किसी ने सोचा है कि जिनके लिए हम यह दिवस मना रहे हैं, देश में उनकी वास्तविक स्थिति क्या है?
जी हां, नेशनल क्राइम ब्यूरो ने ऐसे आंकड़े पेश किए हैं, जो वाकई में चौंकाने वाले हैं। रिकॉर्ड में दर्शाया गया है कि देश में हर रोज 290 बच्चे ट्रैफिकिंग, जबरन मजदूरी, बाल विवाह, यौन शोषण जैसे अपराधों के शिकार होते हैं।इतना ही नहीं देश भर में 12 साल की उम्र से कम वाले बच्चों के साथ मर्डर, किडनैपिंग जैसी घटनाएं काफी अधिक मात्रा में होती हैं।
चौंका देने वाले हैं आंकड़ेः
रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के 2014 में 89,423 मामले सामने आए थे। 2015 में 94,172 और 2016 में 1,05,785 मामले सामने आए। 2014 और 2016 के बीच यौन अपराध अधिनियम (पोक्सो एक्ट) में बच्चों के संरक्षण के तहत दर्ज अपराधों की संख्या 8,904 से बढ़कर 35,980 हो गई । इस संख्या में लगभग चार गुना की बढ़ोतरी हुई है।
वाकई में आज हमारे देश में यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं।हमारे संविधान में और हमारे कानून ने बच्चों के संरक्षण के लिए महिला एवं बाल कल्याण बोर्ड का गठन तो किया है, लेकिन तब भी भारतवर्ष में बच्चों से बाल मजदूरी से लेकर उनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण जारी है। कहने को तो बाल मजदूरी अपराध में शामिल है, लेकिन आज भी हर क्षेत्र में बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है। दिन दहाड़े बच्चों का अपहरण किया जाता है, मासूमों के साथ आए दिन बलात्कार की घटनाओं ने जोर पकड़ा है। अब आप खुद ही सोचिए कि हमने अपने स्वार्थ के लिए इन मासूमों की भी बलि देना शुरू कर दिया है। जिसका परिणाम क्या होगा हमें उसका अंदाजा नहीं।