बहुचर्चित आइकावा फ्रॉड में कोर्ट ने गुरुवार को पायलट बाबा को जेल भेज दिया है, लेकिन 11 हजार लोगों को सुनहरे सपने दिखाकर चंपत हुए छह धोखेबाजों का अब भी कुछ पता नहीं है। कोर्ट बार-बार समन भेजकर इन्हें तलब कर रहा है, लेकिन आरोपी हाजिर नहीं हो रहे हैं। थाना तल्लीताल में सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें से सिर्फ पायलट बाबा को ही जेल भेजा जा सका है।
कोर्ट में पेश चार्जशीट में कहा गया कि आरोपी पायलट बाबा के अलावा हिमांशु राय, इशरत खान, इरफान खान, विजय यादव, पीसी भंडारी और मंगल गिरी इस धोखाधड़ी में शामिल थे। सभी ने मिलकर गेठिया ज्योलीकोट में आइकावा इंटरनेशनल कंप्यूटर एजूकेशन संस्था खोली थी। संस्था का रजिस्ट्रेशन किया गया और कंप्यूटर के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापन दिए गए। पर्चे छपवाए गए कि कंप्यूटर शिक्षा एक रुपये प्रतिमाह में दी जाएगी। फ्रेंचाइजी आमंत्रित की गई।
प्रत्येक फ्रेंचाइजी से 50 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस, 1600 रुपये सर्वे फीस, 112 रुपये प्रति विद्यार्थी फीस और कंप्यूटर बुक का मूल्य 210 रुपये प्रति विद्यार्थी जमा कराया गया। फ्रेंचाइजी लेने वालों को सपने दिखाए गए कि इसके बदले में 50 हजार 500 रुपये का भुगतान प्रतिमाह किया जाएगा। कहा गया कि प्रशिक्षण केंद्र खोलने में खर्च का भुगतान एवं केंद्र के पर्यवेक्षक, आईटी पर्यवेक्षक, रिसेप्सनिस्ट को भी प्रतिमाह 3500 एवं 1800 रुपये दिए जाएंगे। पायलट बाबा की गुडविल को देखते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के कई लोगों ने फ्रेंचाइजी ली। लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई आइकावा में लगा दी, लेकिन जब पैसा वापसी का वक्त आया तो वादे के मुताबिक संस्था ने भुगतान नहीं किया।
फ्रेंचाइजी लेने वालों से वादा किया गया कि उनसे ली जाने वाली 50 हजार रुपये की धनराशि बाद में उन्हें उपहार स्वरूप लौटा दी जाएगी। संस्था से जुड़कर लोग प्रतिवर्ष छह लाख तक कमा सकते हैं। अधिक परिश्रम करेंगे तो आय 10 से 15 लाख तक पहुंच सकती है। विवेचना के दौरान यह भी पता चला कि आरोपियों ने नियमों का पालन नहीं किया। ऑडिट तक नहीं कराया गया। जो पैसा बैंकों में जमा किया गया वह भी तुरंत ही निकाल लिया गया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि केस के छह आरोपी अब भी फरार हैं। कोर्ट लगातार इन्हें तलब कर रहा है, लेकिन यह कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं।