केदारनाथ राष्र्टीय मार्ग पर निर्माणाधीन चल रहा पुल आज ध्वस्त हो गया है, यह पुल विजयनगर के समीप बनाया जा रहा है, पुल के ध्वस्त होने की खास वजह काम के प्रति अपनाई गई कोताही रही है। 25 करोड़ के टेडर के अंर्तगत बनाए जा रहे मात्र 4 मीटर लंबाई के पुल में लकड़ी की कमजोर बल्लीयों इस्तेमाल में लाई गई है जिसके चलते पुल ध्वस्त हो गया है। वही पुल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मटीरयल की गुणवत्ता के साथ समझौते की शंका के चलते मटीरियलस के सेंपल को गुणवत्ता की जांच के लिए भेजा गया है।
तोमर कंस्ट्रक्शन को रूद्रप्रयाग से लेकर विजयनगर तक लगभग 20 किलोमिटर के निर्माण कार्य के साथ ही मंदाकिनी नदी के किनारे कि प्रतिधारक दीवारों का ठेका दिया गया है लेकिन सवाल ये उठता है कि जो कंस्ट्रक्शन कंपनी महज 4 मीटर के पुल का निर्माण कार्य को अनुबंध नही कर पाई है वो 25 करोड़ के इतने बड़े टेडर की गुणवत्ता के साथ समझौता किए बिना इस ठेके को कैसे पूरा कर पाएगी?
जब हैलो उत्तराखंड न्यूज ने तोमर कंस्ट्रक्शन के मालिक संदीप तोमर से बात की तो उन्होने गैरजिम्मेदाराना ब्यान देते हुए कहा कि “ये तो एक छोटी सी घटना है देश में आए दिन ऐसे कई बडे-बडे कंस्ट्रक्शन ध्वस्त होने की खबर आती है” इसका मतलब साफ है कि तोमर कंस्ट्रक्शन इस छोटे हादसे से सीख लेने के बजाए किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।
वहीं “रूद्रप्रयाग नेशनल हाईवे के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार का कहना है कि तोमर कंस्ट्रक्शन 25 करोड़ के टेडर देने के काबिल ही नही है, ऐसी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए क्योकि इस कंस्ट्रशन कंपनी और इसके इंजीनियरर्स दोनो अनुभवहीन है और ऐसी अनुभवहीन कंपनी को ठेके देने से काम की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। साथ ही उन्होने कहा कि चारधाम राष्ट्रीय राजमार्ग पहाड़ी मार्ग होने के कारण अतिसंवेदनशील है इसलिए इसकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कंस्ट्रकशन कंपनियों का चयन उनके अनुभव और आधुनिक तकनीक को देखते हुए किया जाना चाहिए।”