सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक अध्यादेश को चुनौती देने वाले याचिका को खारिज किया। एडवोकेट दीपक कंसल ने इसे चुनौती दी थी। बता दें कि अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक़ को अवैध करार देने के बाद से ही ये मुद्दा गरम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए मुस्लिम महिलाएं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 लेकर आई थी। ये विधेयक लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में अटक गया। विपक्ष ने तीन तलाक पर कुछ संशोधनों की मांग की थी जिसे लेकर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई।
इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि इस विधेयक को दिसंबर में आने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना था लेकिन उससे पहले ही सरकार इस मामले में अध्यादेश लेकर आ गई। इसी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग के डर को कम करने के लिए सरकार ने इसमें कुछ निश्चित सुरक्षा उपायों के लिए मुकदमे से पहले आरोपी की जमानत के प्रावधान को इसमें जोड़ा गया।