देहरादून: हरिद्वार जिले में स्ववित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों ने अनुसूचित जाति/जनजाति छात्र/छात्राओं को फर्जी तरीके से प्रवेश दिखाकर करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़पने के मामले का खुलासा हुआ है। 2014-015 में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में 2018 में एमआईआर दर्ज की गई थी। जांच में कई बड़ी बातें सामने आई हैं। पुलिस ने करीब सात करोड़ का घोटाला करने वाले इंस्टटियूट ऑफ़ प्रोफेशन स्टडी रुड़की (आईपीएस) के एमडी अंकुर शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। उससे रिमांड पर लेकर पूछ-ताछ की जा रही है।
एसआईटी जांच में निरीक्षक कमल कुमार लुंठी जांच के दौरान पाया कि तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी हरिद्वार अलग-अलग चेक के चरिजए 2014-15 और 2015-16 में अनुसूचित जाति/जनजाति के 2032 छात्र छात्राओं को 6 करोड़, 28 लाख, 94 हजार, सात 750 रुपये की छात्रवृत्ति दी गई थी। जांच में सामने आया कि जिनको छात्रवृत्ति दी गई। उनमें से अधिकांश छात्र-छात्राओं उस संस्थान में पढ़त ही नहीं थे। उनका पंजीकरण भी संस्थान और संबंधित विश्व विद्यालय में नहीं था।
छात्रवृत्ति की राशि सीधे ऑनलाइन बैंक खातों में भेजी गई। एक और बात खुलासा यह भी हुआ कि जितने भी मोबाइल नंबर दिए गए थे। सभीके लगभग एक ही नबंर दिया गया था। देहरादून प्रकाशनगर निवासी संस्थान के एमडी अंकुर शर्मा से संस्थान का अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था, लेकिन वह नहीं करा पाया। संस्थान में फर्जी छात्रों के प्रवेश दिखाकर करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़प ली गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट मे पेश रिमांड पर लिया है। जबकि विवेक शर्मा नाम का एक आरोपी फरार चल रहा है।