देहरादनः प्रदेश सरकार जीरो टॉलरैंस की रट लगाए बैठी है और इस नीति को सफल बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों के दिलो-दिमाग से जब तक भ्रष्टाचार भरा हो तो कैसे सरकार जीरो टॉलरैंस की नीति को सफल करेगी।
उर्जा विभाग का पिटकुल महकमे में इसकी बानगी देखने को मिलती है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को कैसे शासन में बैठे अधिकारी बचाने की कोशिशों में लगे हैं। आखिर क्यों इन भ्रष्ट अधिकारियों को शह दी जा रही है जिसपे सवाल उठने लाजमी हैं।
दरअसल मामला झाझरा सब स्टेशन में लगे 80 एमवीए ट्रांसफार्मर के एक ही माह में बार-बार फुकने का था। इस ट्रांसफार्मर को लेकर हैलो उत्तराखंड न्यूज़ न एक पड़ताल शुरू की। पड़ताल के बाद कई तथ्य सामने आए थे जो कि टांसफार्मर में बड़े घोटाले को उजाकर कर रहे थे। वहीं हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में उत्तराखंड में ट्रांसफार्मर घोटाले होने की एक खबर को प्रमुख्ता के साथ पब्लिश किया जिसके बाद पिटकुल महकमा हड़कंप में आया और महकमें के तत्कालीन एमडी एसएन वर्मा ने मामले से जुड़े पांच अधिकारियों में से चार अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर दिया और मुख्या अभियंता को देहरादून से हटाकर हल्द्वानी भेज दिया था और ट्रांसफार्मर घोटाले की र्थड पार्टी जांच रूड़की आईआईटी को सौंपी थी, जिसके लिए करीब 24 लाख का भुगतान भी पिटकुल ने चैक द्वारा किया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब हैलो उत्तराखंड न्यूज के हाथ इस जांच से जुड़े कुछ पत्र लगे जो कि साफ तौर पर यह दर्शा रहे थे कि जांच में कहीं न कहीं आंच आयेगी और भ्रष्ट अधिकारियों को कहीं न कहीं जांच में बचाया जायेगा।
आपको बतातें हैं कि आखिर क्या था पत्र का सच!
हैलो उत्तराखंड न्यूज़ के हाथ शासन से निकला हुआ एक पत्र हाथ लगा है जो कि उर्जा उप सचिव प्रकाश जोशी ने जारी किया। इस पत्र में जो पहलू लिखे थे उससे उन पर सवाल उठना लाजमी है कि क्यों जोशी ने टांसफार्मर की टेक्निकल जांच सीपीआरआई बैंगलोर की एक कंपनी से करवाने के लिए मना किया?
-आपको बता दें कि बैग्लॉर की यह सीपीआरआई कंपनी ट्रांसफार्मर की तकनीकि पहलुओं की जांच करती है जिससे यह उजागर होता कि आखिर ये ट्रांसफार्मर फुका तो क्यो?
-क्या इस ट्रांसफार्मर के 80 एमवीए के न होने पर ही सवाल थे? या फिर किसी अधिकारी को बचाने के लिए इस पत्र को जारी किया गया?
-सवाल कई हैं कि आखिर क्यों शासन में बैठे प्रकाश जोशी ने यह पत्र जारी किया?
मामले की छानबीन को लेकर जब हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने उर्जा सचिव राधिका झा से बात की उन्होंने कहा कि जो पत्र जारी हुआ है वह गलत है और उस मामले में उचित कार्यवाही की जायेगी। हालांकि उनका यह भी कहना है कि यदि रूड़की आईआईटी की जांच में यह लिखा होगा कि जांच सीपीआर को सौंपी जाए तो फिर सीपीआर से ही जांच करवाई जायेगी।
लेकिन सोचने वाली बात तो यही है कि आखिर उप सचिव द्वारा यह पत्र क्यों जारी किया गया? क्या वो किसी अधिकारी के बचाने की कोशिश में है?