टीपू सुल्तान को बलात्कारी बताने वाले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े पर कार्रवाई की तैयारी!

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बंगलुरूः टीपू सुल्तान को बलात्कारी बताने वाले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े अब फंसते नजर आ रहे हैं। उनके खिलाफ कोलकाता में रहने वाले सुल्तान के वंशज कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं।

हेगड़े ने गत शुक्रवार को अपने एक ट्वीट के जरिए मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान को जन बलात्कारी और क्रूर हत्यारा बताया था। इतना ही नहीं हेगड़े ने टीपू सुल्तान की जयंती के अवसर पर रखे गए कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उत्तर कन्नड़ डिप्टी कमिश्नर से उन्हें आमंत्रित न करने के लिए कहा। उन्होंने कर्नाटक सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि एक बलात्कारी, सनकी और हत्यारे के शर्मनाक इवेंट में मुझे आमंत्रित न किया जाए।

हेगड़े के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है। टीपू सुल्तान के वंशजों का कहना है कि हेगड़े के बयान से उन्हें काफी दुख पहुंचा है। टीपू सुल्तान की छठी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले बख्तियार अली ने कहा कि मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक बैठक करूंगा और हम हेगड़े द्वारा सुल्तान पर दिए विवादित बयान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। हेगड़े की यह बात सुनकर मैं हैरान हूं। टीपू सुल्तान एक बहुत ही आदरणीय शासक थे। अली ने कहा कि मैं नहीं जानता कि किस आधार पर उन्होंने टीपू सुल्तान की छवि को बिगाड़ने के लिए इस प्रकार के आरोप लगाए हैं। टीपू सुल्तान एक राष्ट्रीय हीरो और टाइगर ऑफ मैसूर थे।

जानिए टीपू सुल्तान का इतिहास-
टीपू सुल्तान (1750-1799) कर्नाटक (कन्नड़ ‎) भारत के तत्कालीन मैसूर राज्य के शासक थे। टीपू सुल्तान मैसूर के सबसे महान शासक थे। टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान था। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था। उनके पिता (हैदर अली) मैसूर साम्राज्य के सैनापति थे। जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने। टीपू को मैसूर के शेर के रूप में जाना जाता है। योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्वान, कुशल़, योग्य सेनापति और कवि भी थे। टीपू सुल्तान ने हिंदू मन्दिरों को तोहफ़े पेश किए। मेलकोट के मन्दिर में सोने और चांदी के बर्तन है, जिनके शिलालेख बताते हैं कि ये टीपू ने भेंट किए थे।

अपने पिता हैदर अली के पश्चात 1782 में टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा। अपने पिता की तरह ही वह अत्यधिक महत्वांकाक्षी कुशल सेनापति और चतुर कूटनीतिज्ञ था। यही कारण था कि वह हमेशा अपने पिता की पराजय का बदला अंग्रेजों से लेना चाहता था, अंग्रेज उससे काफी भयभीत रहते थे।

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