देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा की सरकार में संगठन और सरकार के अलग-अलग बयानों को लेकर भले ही सुर्खियां बनी हो। लेकिन पहली बार विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के अलग-अलग बयानों से सियासत गर्म है। मामला 19 दिसंबर को गैरसैंण विकास परिषद की बैठक से जुड़ा हुआ है। जिसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों की मौजूदगी न होने की वजह से बैठक रद्द कर दिया था। वहीं अगले दिन जब बैठक हुई तो अधिकारियों ने भी बैठक में न पहुंचने को लेकर यही तर्क दिया था, कि उन्हें बैठक की जानकारी नहीं थी। जबकि 19 दिसंबर को बैठक के लिए अधिकारियों का इंतजार कर रहे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने अधिकारियों की लापरवाही पर दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि अधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी और सभी अधिकारियों को बैठक की जानकारी थी। उसके बावजूद अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे।
वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अधिकारियों के बचाव के पक्ष में आज बयान देते हुए नजर आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को बैठक की जानकारी नहीं थी। इसलिए अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे जिसे मीडिया ने बेवजह मुद्दा बनाया।