राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के उत्तराखण्ड आगमन पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रपति से आशियाना में शिष्टाचार भेंट कर उन्हें किसानो कि समस्या से रूबरू करवाते हुए ज्ञापन प्रेषित किया।
देव भूमि उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि जीवन के लिए हवा और पानी के बाद तीसरे स्थान पर अन्न सर्वोपरि है। लेकिन आज उन्ही अन्नदाताओ कि अनदेखी और उपेक्षा हो रहा है। किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल नहीं मिल रहा है, न समय पर खाद-बीज, पानी, बिजली व सिंचाई सुविधा मिल रही है। फसल का उचित मूल्य न मिलने से किसान बैंकों का कर्जा भी नहीं लौटा पा रहे हैं।
देश में किसानों की आत्महत्या से अभी तक अछूती देवभूमि उत्तराखण्ड में भी 16 जून 2017 से किसानों की आत्महत्या का सिलसिला शुरू हो गया है। बैंक और साहूकारों के कर्ज के बोझ से दबे पिथौरागढ़, टिहरी और उधमसिंहनगर के एक-एक किसान द्वारा आत्महत्या की गई तथा उधमसिंनगर के एक किसान की बैंक की वसूली के नोटिस आने के बाद हृदय घात से मृत्यु हुई। इस प्रकार राज्य में अब तक चार किसानों द्वारा की गई आत्महत्या से इस देवभूमि को शर्मसार होना पड़ा है।
कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में चुनाव के दौरान भाजपा ने राज्य की जनता से वादा किया था कि सरकार बनने की दशा में किसानों के कर्ज माफ़ किये जायेंगे, किसानों को ब्याज रहित ऋण दिया जायेगा तथा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान 15 दिन के अन्दर किया जायेगा। आज राज्य सरकार अपने इन तीनों वादों से मुकर रही है।
कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से आग्रह किया कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 5 बिन्दुओं पर अमल करने के लिए केन्द्र व उत्तराखण्ड सरकार को निर्देशित किया जाये –
1. उत्तराखण्ड राज्य के किसानों का ऋण माफ किया जाय
2. फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करते हुए लागत से डेढ गुना दाम पर किसानों के उत्पाद को खरीदा जाय।
3. किसानों को कृषि कार्य हेतु ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाय।
4. गन्ना किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र किया जाय।
5. मृतक किसानों के आश्रितों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाय।
राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमण्डल की बातों को गम्भीरता पूर्वक सुनने के बाद केन्द्र सरकार से इस विषय में वार्ता करने कि बात कही और साथ ही कहा कि किसान हितों की रक्षा देशहित में आवश्यक है।