श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में पिछले छह माह से चल रहे राज्यपाल शासन को खत्म करने की तैयारी शुरू हो गई है। घाटी में चल रहे अनिश्चतता के दौर को समाप्त करने के लिए राज्य को गठबंधन की सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एनडीटीवी ने सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है, जिसके लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं। कहा जा रहा है कि पीडीपी बाहर से समर्थन देगी। इस गठबंधन की घोषणा जल्द हो सकती है।
जून माह में जम्मू-कश्मीर में आए सियासी संकट के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने को मंजूरी दे दी थी। भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां सियासी संकट के हालात पैदा हो गये थे। जम्मू- कश्मीर में छह साल का कार्यकाल होता है और वहां पर राष्ट्रपति के बदले राज्यपाल शासन लागू होता है।
एनसी-पीडीपी के संभावित गठबंधन पर पीडीपी के सांसद, मुजफ्फर बैग ने कहा कि जम्मू कैसे रिएक्ट करेगा? यह पूरी तरह से मुस्लिम गठबंधन है, लद्दाख कैसे रिएक्ट करेगा? ऐसी गैर-जिम्मेदाराना बातचीत से जम्मू और कश्मीर में मुश्किलें बढ़ेंगी. लद्दाख, जम्मू उस राज्य का हिस्सा नहीं रहेगा जिसपर किसी एक समुदाय का शासन हो। कांग्रेस, नेशलन कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच गठबंधन पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम पार्टियों का यह कहना था कि क्यों ना हम इकट्ठे हो जाए और सरकार बनाए। अभी वो स्टेज सरकार बनने वाली नहीं है, एक सुझाव के तौर पर बातचीत चल रही है।
कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरनने के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा नहीं पेश किया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी। वहीं पीडीपी भी रेस में नहीं थी। कांग्रेस ने पहले ही कह दिया कि पीडीपी के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं है। जाहिर है सिर्फ एक मात्र विकल्प राष्ट्रपति शासन बचता था। इस बीच जम्मू कश्मीर के गवर्नर ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी थी। उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की थी।
जम्मू-कश्मीर की 87-सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में 25 नवंबर और 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव करवाए गए थे, जिनमें तत्कालीन सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार हुई, और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चला रही पार्टी को सिर्फ 15 सीटों मिली थी। वर्ष 2008 में सिर्फ 11 सीटों पर जीती भाजपा ने मोदी लहर में 25 सीटें जीतीं, और 52 दिन के गवर्नर शासन के बाद पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीडीपी को समर्थन देकर सरकार बना ली। 1 मार्च, 2015 को सत्तासीन हुए सईद का जनवरी, 2016 में देहावसान होने के कारण सरकार फिर संकट में आ गई, और राज्य में एक बार फिर गवर्नर शासन लगाना पड़ा। बीजेपी पर ये आरोप भी लग रहे थे कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने ये फैसला लिया ताकि घाटी में बढ़ रही आतंकी घटनाओं को लेकर केंद्र की छवि खराब न हो।