नई दिल्ली: राफेल डील को लेकर याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह, बीजेपी नेता अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील एम एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। केन्द्र सरकार ने मंगलवार को एयर फोर्स के लिए 36 राफेल फाइटर जेट डील का ब्योरा सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा दिया था। कोर्ट इस ब्योरे को देखने के बाद याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से पैरवी करते हुए तीन-सदस्यीय पीठ को बताया कि सिर्फ तीन परिस्थितियों में अंतर-सरकार मार्ग अपनाया जा सकता है। भूषण ने कहा कि पहले इस डील में 108 विमान भारत में बनाने की बात की जा रही थी। 25 मार्च 2015 को दसॉ और भ्।स् में करार हुआ और दोनों ने कहा कि 95 फीसदी बात हो गई है। लेकिन 15 दिन बाद ही प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान नई डील सामने आई, जिसमें 36 राफेल विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ और मेक इन इंडिया को किनारे कर दिया गया।
राफेल लड़ाकू विमान सौदा गोपनीय नहीं हो सकता राफेल फाइटर जेट डील में भ्रष्टाचार हुआ है। विमान सौदा आरटीआई के दायरे में आता है। उन्होंने कहा कि रिलायंस को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया। कीमत बताने से देश की सुरक्षा को खतरा कैसे हो सकता है। इस डील के बारे में रक्षामंत्रालय को भी पता नहीं था, एक झटके में विमान 108 से 36 हो गए और ऑफसेट रिलायंस को दे दिया गया।
सरकार कह रही है कि उन्हें ऑफसेट पार्टनर का पता नहीं है. लेकिन प्रोसेस में साफ है कि बिना रक्षा मंत्री की अनुमति के ऑफसैट तय नहीं हो सकता है। ऑफसेट बदलने के लिए सरकार ने नियमों को बदला गया और तुरंत लागू किया गया। सरकार पहले ही दो बार देश की सुरक्षा को ताक पर रख चुकी है, क्योंकि वह दो बार संसद में राफेल के दाम बता चुकी है। राफेल डील को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफेल विमानों के सौदे की कीमत दो बार संसद में उजागर की गई थी, इसलिए सरकार द्वारा यह कहा जाना स्वीकार्य नहीं है कि कीमतों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
मोदी सरकार द्वारा फाइल की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि गंभीर फ्रॉड हुए। राफेल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा फाइल की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि मई, 2015 के बाद फैसला किए जाते वक्त गंभीर फ्रॉड किया गया है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि मामले की सुनवाई पांच-सदस्यीय पीठ से कराई जाए।