सबरीमाला: भगवान अयप्पा मंदिर सोमवार को पूरे दिन के लिए खुलने जा रहा है, जिसके मद्देनजर करीब 2,300 पुलिसकर्मियों ने मंदिर कस्बे को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बीते तीर्थयात्रा सत्र में व्यापक पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है। 4 से 6 नवंबर तक सन्नीधनम, पंबा, निलाक्कल और इलावंकुल में धारा 144 लगाने का फैसला किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत पंबा, नीलक्कल और इलुवांगल में चार या इससे अधिक लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि श्रद्धालुओं को केवल सोमवार दोपहर बाद ऊपर के रास्ते पर जाने की इजाजत दी जाएगी। मंदिर के कपाट शाम पांच बजे खुलेंगे और मंगलवार रात 10 बजे बंद होंगे।
पथानमथिट्टा जिला कलेक्टर पी.बी. नूह ने मंदिर कस्बे और उसके आस-पास निषेधात्मक आदेश घोषित कर दिए हैं। प्रदर्शनों को रोकने के लिए चार या उससे अधिक लोगों के इकठ्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भाजपा व कई अन्य हिंदू संगठन सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं को प्रवेश देने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। केरल सरकार ने कहा है कि वह शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करेगी।
निलक्कल से लेकर मंदिर कस्बे आधार शिविर पांबा तक जाने वाली सभी सड़कों पर बैरिकैड लगा दिए गए हैं और पुलिस द्वारा सोमवार सुबह तक निषिद्ध घोषित कर दिया गया है। पुलिस मंदिर कस्बे और उसके आस-पास से गुजरने वाले प्रत्येक वाहन की जांच कर रही है। रविवार को विरोध के बाद पुलिस ने मीडिया को निलक्कल जाने की इजाजत दे दी है। पुलिस के मुताबिक, पांबा आधार शिविर से मंदिर जाने वाले रास्ते और मंदिर के गर्भ-गृह के करीब इलाके में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
भाजपा की केरल इकाई के प्रवक्ता एम.टी. रमेश ने पुलिस को श्रद्धालुओं द्वारा सर पर रख कर ले जाने वाली पवित्र किट (इर्रुमुदी केत्तु) की जांच करने के खिलाफ चेतावनी दी है। मीडिया के लिए भी बंदिशें सख्त कर दी गई हैं और उन्हें केवल पांच नवंबर को ही मंदिर कस्बे पहुंचने की इजाजत दी जाएगी। पुलिस ने शनिवार तक 536 मामले दर्ज किए हैं और 3,719 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से केवल करीब 100 लोग ही जेल में हैं, जबकि बाकियों को जमानत मिल गई है। मंदिर को 17-22 अक्टूबर तक पांच दिन तक चलने वाली मासिक पूजा के लिए खोला गया था। उस दौरान प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के खिलाफ श्रद्धालुओं और अन्य संगठनों का विरोध प्रदर्शन देखा गया था।