देहरादून: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऋषिकेश स्थित एम्स के प्रथम दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित की। उन्होंने दीक्षांत उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके अध्यापकों व अभिभावकों को बधाई देते हुए कहा कि जैसे सीमाओं पर देश की रक्षा के लिए सेना के जवान समर्पित हैं, उसी प्रकार बीमारी से लड़ने में युवा चिकित्सकों को समर्पित होकर काम करने की जरूरत है। कार्यक्रम में कुल 162 विद्यार्थियों को उपाधियां दी गई जिनमें 01 पीएचडी, 44 एमबीबीएस, 117 बीएससी नर्सिंग शामिल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखण्ड सदैव शिक्षा व स्वास्थ्य की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र रहा है। आज भी ऋषिकेश दुनिया में योग व अध्यात्म के केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध है। गांधीजी ने कभी इस क्षेत्र की जलवायु से प्रभावित होकर कहा था कि ना जाने क्यों लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए यूरोप जाते हैं। अगर हम इस क्षेत्र का सही विकास करें तो पूरी दुनिया से लोग उत्तराखण्ड आएंगे। यहां नेचर टूरिज्म व एडवेंचर टूरिज्म के साथ ही मेडिकल टूरिज्म का केंद्र बनने की भी पर्याप्त क्षमता है। रामायण की कथा में उत्तराखण्ड में संजीवनी बूटी का जिक्र आता है। यहां औषधीय गुणों से सम्पन्न वनस्पतियों की सम्पदा है। योग, आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी आदि पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ विकसित करते हुए यहां हाॅलिस्टिक हीलिंग की विश्व स्तर की सुविधाओं की सम्भावना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में एम्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। एम्स को केवल चिकित्सा सेवा में ही नहीं बल्कि चिकित्सा अनुसंधान में भी आगे बढ़ना है। एम्स ऋषिकेश में अनेक सुपर स्पेशलिस्ट सेवाएं दी जा रही हैं। उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य संबंधी स्थानीय समस्याओं पर अनुसंधान करें। एम्स ऋषिकेश गांव, ब्लाॅक व जिला स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों की कैपिसिटी बिल्डिंग में योगदान कर सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से टेली मेडिसिन व टेली सर्जरी को बढ़ावा दिया जा सकता है। इस प्रकार आधुनिक तकनीक का उपयोग करके सुदूर क्षेत्रों की जनता तक एम्स की क्षमताओं का लाभ पहुंचाया जा सकता है। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड में टेली मेडिसिन, टेली रेडियोलाॅजी, ई-रक्तकोष जैसी सुविधाएं प्रारम्भ की गई हैं। आयुष्मान भारत में उत्तराखण्ड में सौ प्रतिशत कवरेज का प्राविधान है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक स्टैंडर्ड प्रोटोकोल बनाया जाए जिसके अनुसार हर डाक्टर ईलाज करे। इससे अनावश्यक जांच से बचा जा सकेगा। मरीज को ट्रीटमेंट के साथ ही चिकित्सों के व्यवहार से भी लाभ मिलता है। मरीज केवल एक मेडिकल पीस नहीं होता है बल्कि बीमारी से ग्रस्त परेशान मनोदशा वाला इंसान होता है जिसे मानसिक सहारे की जरूरत होती है। आपकी भूमिका केवल एक चिकित्सक की नहीं बल्कि एक हीलर की भी होती है। मरीजों का विश्वास जीतने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि मेडिकल की उपाधि प्राप्त करने वाले युवा आज के बाद एक नई जिम्मेदारी की शुरूआत कर रहे है। उन्हें लोगों के दुख दर्द दूर करने व समाज की सेवा का व्रत लेना होगा। चिकित्सक का व्यवसाय मानवता से जुडा है इसलिए समाज को इनसे बडी उम्मीदें रहती है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एम्स ऋषिकेश का प्रथम दीक्षांत समारोह ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का बेहतर उदाहरण है। यह मेडिकल शिक्षा का भी बेहतर संस्थान है। आज यहा 4 हजार ओपीडी तथा 900 इनडोर बेड की सुविधा है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश ने आयुष्मान भारत योजना से अपने को जोड़ा है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के प्रति विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पिछले 4 साल में 16 एम्स स्थापित किये गये है। मेडिकल कालेजों मे फेकेल्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये केम्पस इन्टरव्यू की व्यवस्था की गई है। एम्स में भी यह व्यवस्था की गई है। फेकल्टी के चयन आदि में पारदर्शिता अपनाई जा रही है।